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एक ऐसा गीतकार जिसकी लेखनी से प्रेम के स्वर प्रस्फुटित होते हैं और कंठ में निवास करती हैं स्वयं सरस्वती ....जिसके गीत पाठकों/श्रोताओं को आंदोलित ही नहीं करते अपितु भीतर-ही भीतर नए महासमर के लिए तैयार भी करते हैं .....जिसकी प्रेमानुभुतियाँ इंसानियत के लड़खड़ाते कदमों को संभालने में, प्रेम पंजरी फांकने वालों को झुलसाने से बचाने में और हताश-निराश लोगों को आशा की किरण प्रदान करती है !
जानते हैं कौन हैं वो ?
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एक ऐसा गीतकार जिसके बिंब और कथ्य ग्रामीण परिस्थितियों से लबरेज है वहीं भाव व्यापक प्रभामंडल को आयामित करने में समर्थ ...!
जिसकी प्रवाहशीलता के साथ-साथ अर्थ व्यंजनायें बरबस आकर्षित करती है और जिसकी जिन्दादिली से वाकिफ है पूरा हिंदी चिट्ठाजगत ...!
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इसके अतिरिक्त ब्लोगोत्सव-२०१० पर अवश्य पढ़ें --
सितारों की महफ़िल में आज राजेन्द्र स्वर्णकार
सितारों की महफ़िल में आज ललित शर्मा
आप शुभकामनाएं देना चाहते हैं तो उसी पोस्ट के लिंक पर क्लिक करके परिकल्पना ब्लॉगोत्सव 2010 की संबंधित पोस्ट पर ही देंगे तो पाने वाले और देने वाले - दोनों को भला लगेगा। यह भलापन कायम रहे।
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