एक बात जो समझनी है
Posted on by Subhash Rai in
Labels:
subhash Rai
जीवन एक कविता की तरह है। उतना ही सुंदर, उतना ही सुरुचिपूर्ण, उतना ही सुष्ठु, उतना ही मधुर। जिस तरह कविता कवि की रचना होती है और वह उसे भावों, शब्दों, अलंकारों से सजा कर प्रस्तुत करता है, उसी तरह जीवन को भी प्रकृति सुंदर से सुंदर बनाकर प्रस्तुत करती है। जिसे केवल जीवन चाहिए, वह इसे सुंदर बनाये रख सकता है, जिसे जीवन के बदले और भी चीजें चाहिए, उसे जीवन के सौदर्य से वंचित होना पड़ता है। रचना अपने आप में ही फल है। किसी कवि ने एक सुंदर कविता रची, यह उसका पारिश्रमिक है। क्यों नहीं सभी लोग कविता रच लेते हैं, किसी के भी शब्द काव्य में बदल जायं, ऐसा कहां होता है? पूरा देखें बात-बेबात पर
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
0 comments:
नई टिप्पणियों की अनुमति नहीं है.