आदमीयत अब है कहां : हम तो हिन्‍दी ब्‍लॉगरों में तलाश रहे हैं

Posted on
  • by
  • अविनाश वाचस्पति
  • in
  • Labels: , ,
  • मानवता का सही चित्रण करती सशक्त कवितायें कहा। उनका सोचना है कि आदमी के बदलते चरित्र का सही चित्रण किया गया है। राजनीति कण कण में समा गई है और विलोम अर्थ ही शेष रह गये हैं। जाकिर अली रजनीश, मुकेश कुमार सिन्हा, पारुल, शिखा वार्ष्णेय, संध्या गुप्ता, आभा, अविनाश चंद्रा, विवेक जैन और बेचैन आत्मा ने भी कविताओं की सराहना की। बेचैन आत्मा ने कहा कि सभी कविताएँ .... पूरा पढ़ने के लिए क्लिक कीजिएगा
     
    Copyright (c) 2009-2012. नुक्कड़ All Rights Reserved | Managed by: Shah Nawaz