अपने ब्लॉग का मोह छूटता नहीं है और छूटना भी नहीं चाहिए। रचनाएं और ब्लॉग तो संतान की तरह हैं। वे लेखकों को सदैव प्रिय रहे हैं। अपनी प्रियता के साथ सभी यह भी इच्छा रखते हैं कि उनका ब्लॉग और रचनाएं सभी पाठकों और ब्लॉगरों को भाएं। इसी के चलते वे अपनी रचनाओं को अपने ब्लॉग पर प्रकाशित करने के साथ ही अन्य सामूहिक ब्लॉगों, जिनसे वे जुड़े हैं, पर भी प्रकाशित कर देते हैं।
अब से यह तय किया गया है कि नुक्कड़ पर आप सिर्फ वे रचनाएं ही प्रकाशित/पोस्ट करें जो कि किसी भी ब्लॉग पर अप्रकाशित और अप्रसारित हों। नुक्कड़ पर प्रकाशित रचनाओं का प्रकाशन यदि आप अपने ब्लॉग पर या अन्य किसी ब्लॉग पर करना चाहते हों तो अवश्य करें परन्तु एक सप्ताह बाद ही।
आप अपने ब्लॉग पर लगाई गई पोस्ट की तीन या चार महत्वपूर्ण पंक्तियां नुक्कड़ पर प्रकाशित कर पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए अपने ब्लॉग का लिंक तो दे सकते हैं परन्तु इस स्थिति में नुक्कड़ की पोस्ट के टिप्पणी बॉक्स को अवश्य बंद कर दें। इस प्रकार की गई पोस्ट उसी समय आपके ब्लॉग पर लगाई गई हो न कि आप अपने ब्लॉग पर पहले से प्रकाशित पुरानी पोस्टों के लिंक नुक्कड़ की नई पोस्टों के तौर पर जारी करना आरंभ कर दें।
विश्वास है कि आप इसे अन्यथा नहीं लेंगे और पूर्ववत् सहयोग बनाए रखेंगे। इस संबंध में यदि आपके पास कोई सुझाव हैं तो वे आप इस पोस्ट के टिप्पणी बॉक्स में दे सकते हैं।
नुक्कड़ के धुरंधर लिक्खाड़ों से विनम्र अनुरोध : देखें क्या मंत्रणा चल रही हैं और कौन हैं ये दोनों ?
Posted on by अविनाश वाचस्पति in
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आइये पहचानें,
विनम्र अनुरोध
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nice
जवाब देंहटाएंफोटो तो बड़ी शानदार लगायी है पर है किसकी , कोई बताए तो सही ।
जवाब देंहटाएंबहुत सही बात कही आपने..ऐसा होना भी चाहिए इसे अन्यथा लेने का सवाल ही नही उठता ऐसे में पोस्ट की गरिमा बनी रहती है और ज़्यादा से ज़्यादा लोग द्वारा पड़ी जाती है....सुझाव के लिए शुक्रिया वैसे हम तो ऐसे ही करते है....
जवाब देंहटाएंसही बात है.
जवाब देंहटाएंबहुत सही निर्णय है !!
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंआपका सुझाव तो अच्छा है .यह बात सही है कि किसी पोस्ट को एकसाथ कई ब्लॉग पर डालने से नुक्कड़ की विशिष्टता (exclusiveness)पर फर्क पड़ता है लेकिन इसमें अपने ब्लॉग पर भी पोस्ट नहीं डालने की बात पच नहीं रही है.इसका तो यह मतलब हुआ कि अब अपने ब्लॉग और नुक्कड़ के लिए अलग अलग पोस्ट लिखी जाएँ .यह फुल -टाइम ब्लोगरों के लिए तो उचित है पर जो लोग अपनी व्यस्त दिनचर्या के बाद भी समय निकालकर ब्लॉग के जरिये अधिकतर लोगों के साथ अपनी बात बांटना चाहते हैं उन्हें मुश्किल हो सकती है क्योंकि नुक्कड़ पर आने के लिए या तो उन्हें अपना ब्लॉग बंद करना होगा या फिर अपना ब्लॉग चालू रखकर नुक्कड़ को अलविदा कहना होगा.ये दोनों ही स्थितियां मेरे जैसे ब्लोगरों के लिए तो वैसी ही है कि अपने ही दो बच्चों में से यह तय करना पड़े कि कौन से बच्चे को अपने पास रखे और कौन से बच्चे को घर से निकल दे.....
जवाब देंहटाएंअरे यह दोनो कोन हो सकते है जी, यह केमरे वाला ओर उस से बात करने वाला? फ़ोटू बडा कर के भी देखा, शकले तो जान पहचानी है लेकिन नाम याद नही आ रहे:)
जवाब देंहटाएं@ संजीव शर्मा
जवाब देंहटाएंपोस्ट के तीसरे पैरे पर ध्यान दीजिए शर्मा जी। इसमें आप अपने ब्लॉग पर पोस्ट प्रकाशित कर सकते हैं और नुक्कड़ से जुड़ भी रह सकते हैं।
आप अपने ब्लॉग पर लगाई गई पोस्ट की तीन या चार महत्वपूर्ण पंक्तियां नुक्कड़ पर प्रकाशित कर पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए अपने ब्लॉग का लिंक तो दे सकते हैं परन्तु इस स्थिति में नुक्कड़ की पोस्ट के टिप्पणी बॉक्स को अवश्य बंद कर दें। इस प्रकार की गई पोस्ट उसी समय आपके ब्लॉग पर लगाई गई हो न कि आप अपने ब्लॉग पर पहले से प्रकाशित पुरानी पोस्टों के लिंक नुक्कड़ की नई पोस्टों के तौर पर जारी करना आरंभ कर दें।
किसी प्रकार के भ्रम की स्थिति में आप मुझे फोन 9868166586 पर फोन कर सकते हैं।
बस, एक साथ सब जगह छापने में कोई फायदा नहीं. आपका सुझाव पसंद आया कि कुछ रुककर फिर से दूसरे ब्लॉग से छापने में कोई बुराई नहीं. जो पाठक नियमित नहीं है शायद इस तरह अधिक चांस है कि पढ़ लेंगे.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया सुझाव, बधाई.
आपका सुझाव याद रखेंगे !
जवाब देंहटाएंअक्षरशः सत्य और न्यायोचित बात कही अविनाश सर ने, जिससे नुक्कड़ की गरिमा भी बनी रहे और व्यक्तगत ब्लॉग का लिंक भी अन्य ब्लोगेर्स को मिल सके. एक पंथ दो काज. शुक्रिया अविनाश सर !
जवाब देंहटाएंबात सही है
जवाब देंहटाएंफोटो कुछ जानी पहचानी है शायद नक्कार हैं नौबतखाने के
यहाँ बजाने का यंत्र नहीं लगा है
जवाब देंहटाएंटिप्पणियाँ तो कई ने दीं पर यह बताया नहीं कि फोटो किसकी लगायी है ? कौन मंत्रणा कर कर रहे हैण और किससे ?
जवाब देंहटाएंबढ़िया है भाई जी !
जवाब देंहटाएंपीली प्रिंटेड शर्ट व काली पेंट में अविनाशजी तो पहचाने जा रहे हैं । लेकिन इनके साथ जो सज्जन हैं वे देखे तो लग रहे हैं किंतु नाम ध्यान नहीं आ रहा है। कृपया बताईयेगा कि ये दूसरे सज्जन कौन हैं ?
जवाब देंहटाएंअविनाश भाई, यह निर्णय तो आपको बहुत पहले ही ले लेना चाहिए था। चलिए कम से कम इससे समय की बचत तो होगी ही। साथ ही नुक्कड़ पर आकर नया कुछ पढ़ने को मिलेगा। आपसे एक अनुरोध और है कि इस तरह के प्रयोग न करें जो आपने इस पोस्ट के साथ किए हैं। अब देखिए न कि लोग असली बात पर विचार करने की बजाय इसमें ही माथापच्ची कर रहे हैं कि तस्वीर में कौन हैं। जो भी हैं उससे इस पोस्ट के विषय पर आखिर क्या फर्क पड़ता है।
जवाब देंहटाएं@ शशि सिंहल
जवाब देंहटाएंये वही हैं
जो बार बार पूछ रहे हैं
बहुत दिनों बाद
जिनकी टिप्पणियां आई हैं
और पोस्ट अभी भी नहीं।
BILKUL SAHI.
जवाब देंहटाएंसंजीव शर्मा जी का सुझाव स्वागतयोग्य लगा कि अब यह तय करना मुश्किल है कि किस बच्चे को सगा कहें और किसके साथ सौतेला व्यवहार करें, यह काफी मुश्किल है कि तलवार से एक बच्चे का सर कलम कर दिया जाए और दूसरे को दूध मलाई खिलाई जाए, इस तरह का निर्णय सुनाकर आपने तो वाकई हमारे जैसों को धर्म संकट में ही डाल दिया है साहेब
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