मौसम गुस्सा ही रहेगा : नाराज़ नहीं, व्यस्त होते हैं हम सब
Posted on by अविनाश वाचस्पति in
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अविनाश वाचस्पति
मौसम से यह पंगा इंसान को नंगा ही कर रहा है। पर बेशर्म इंसान, अब अपने नंगेपन से भयभीत नहीं हो रहा है। उसका मानना है कि यह दिगम्बरपना उसका आदिम स्वरूप है। इससे भला कैसी शर्म ? आप चाहे कितने ही कपड़े पहन लें, पर मौसम के सामने आप अपने पूरे नंगेपन में मौजूद हैं और किसी प्रकार के लिबास से आप इस बेह्याई से..... पूरा पढ़ने के लिए क्लिक कीजिए