(उपदेश सक्सेना)
वो कहानियाँ अधूरी जो न हो सकेंगी पूरी
उन्हें मैं भी क्यूँ सुनाऊँ उन्हें तुम भी क्यूँ सुनाओ.......
गज़लकार अहमद फराज़ की इन पंक्तियों को इन दिनों मन ही मन गुनगुना रहे अर्जुनसिंह की खामोशी पर देश चिंतित है. महाभारत का काल होता तो कृष्ण की मदद ली जा सकती थी, लेकिन शंका है कि क्या उनके ‘उपदेश’ सुनकर भी ‘अर्जुन’ अपना मौन तोड़ते?. देश चिंता में है, भजन गाये जा रहे हैं ....अर्जुन बाबा बोलो...अर्जुन श्याम बोलो...! दिल्ली के 10 जनपथ, में चिंता का माहौल है, अर्जुन चुप रहें या बोलें दोनों हालात में नुकसान नज़र आ रहा है.
वैसे मेरी नज़र में अर्जुनसिंह कतई दोषी नहीं हैं. वे कांग्रेस के नुमाइंदे हैं, कांग्रेस गांधी के नाम पर चल रही है, गांधी विदेशियों के सख्त विरोधी थे, अब यदि अर्जुन ने गांधी की भावनाओं का सम्मान करते हुए यदि उस विदेशी (वारेन एंडरसन) को भारत से भगाने में मदद की तो कौनसा गुनाह कर दिया? केन्द्र की सरकार भी तो उस वक़्त एक गांधी के ही हाथों में ही थी.दो-दो गांधियों को नाराज़ करने का साहस उनमें कैसे हो सकता था? वैसे भी कुंवर साहब का इतिहास जानने वाले यह जानते हैं कि इस तरह की बातें उनके खानदान की रिवायत रही है.अर्जुन सिंह यदि बोले तो यह भी बोल सकते हैं कि यदि वे गलत थे तो गांधी भी गलत थे, उन्होंने ‘अंग्रेज़ों भारत छोडो’ का नारा क्यों लगाया? एक बार अर्जुन पुत्र अभिमन्यु कौरवों के चक्रव्यूह में फंसा था, वह महाभारत काल था, इस भारत में खुद अर्जुन चक्रव्यूह में फंसा है, मछली की आँख भेद सकने वाली उसकी निशानेबाज़ी की कला जंग खा चुकी है, हाँ, तमाम तीरों का रुख उसकी तरफ ज़रूर हो चुका है. अहमद नदीम क़ासमी ने यह लाइनें देश की जनता की आवाज़ बनकर शायद इसी मौके के लिए लिखी होंगी-
लब-ए-ख़ामोश से अफ्शा होगा
राज़ हर रंग में रुसवा होगा
दिल के सहरा में चली सर्द हवा
अब्र गुलज़ार पर बरसा होगा
तुम नहीं थे तो सर-ए-बाम-ए-ख़याल
याद का कोई सितारा होगा
किस तवक्क़ो पे किसी को देखें
कोई तुम से भी हसीं क्या होगा
ज़ीनत-ए-हल्क़ा-ए-आग़ोश बनो
दूर बैठोगे तो चर्चा होगा
ज़ुल्मत-ए-शब में भी शर्माते हो
दर्द चमकेगा तो फिर क्या होगा
जिस भी फ़नकार का शाहकार हो तुम
उस ने सदियों तुम्हें सोचा होगा
किस क़दर कब्र से चटकी है कली
शाख़ से गुल कोई टूटा होगा
उम्र भर रोए फ़क़त इस धुन में
रात भीगी तो उजाला होगा
सारी दुनिया हमें पहचानती है
कोई हम-सा भी न तन्हा होगा
अब तो बोलो हे, अर्जुन.
हे, अर्जुन मुंह खोलो
Posted on by उपदेश सक्सेना in
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आज अर्जुन चुप रहेगा।
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