अविनाश जी आपके नाम के ब्लाग पर आज आपकी धमकी देखी, ‘ब्लागिंग छोड़ रहा हूं क्यों कि खुदकुशी नहीं कर सकता।‘ मेरे मन में भी बार बार ऐसे ही ख्याल आते हैं। जैसा कि आप जानते हैं मेरे तीन ब्लाग हैं। गुल्लक,गुलमोहर और यायावरी। महीने भर पहले मैंने तय किया था कि गुलमोहर और यायावरी को स्थगित कर रहा हूं। क्योंकि वहां कोई कचरा डालने भी नहीं आ रहा है। नामी तो क्या बेनामी भी नहीं आ रहे हैं। माफ करें मुझे तो कचरा भी जरूरी लगता है क्योंकि उसी से तो खाद बनती है। मैंने स्थगन की पोस्ट लगाई तो कुछ भले साथी उस पर स्थगन की अपील लेकर आ गए। मैंने उनकी बात मान ली। पर जब से उनकी बात मानी है वे खुद गायब हैं। मैं फिर से उसी चौराहे पर खड़ा हूं। आप जैसे साथी रोज हिम्मत बंधाते हैं। जिन्हें छप्पर फाड़कर टिप्पणियां मिल रही हैं उनसे भी राज पूछा। उन्होंने कहा ऊपर वाले पर ही विश्वास करो। छप्पर तो उसी का है। कुछ ने टोटके भी बताए। वह भी किया। पच्चीस-पचास लोगों के ब्लाग पर चला गया। अनुसरण करने लगा। पर हाल वहीं का वहीं। यानी नौ दिन चले अढ़ाई कोस। अब आज आपकी यह पोस्ट देखी। और अब मैंने तो तय कर ही लिया है कि ....... छोड़ दूंगा। तय नहीं कर पा रहा हूं कि खाली स्थान में क्या भरूं। आप अपने हिसाब से ही भर लीजिए।
वैसे जाते जाते यह गंभीरता से कहना चाहता हूं कि लिखने वालों के लिए प्रतिक्रिया बहुत जरूरी है। चाहे वह किसी भी तरह का लेखन हो। अन्यथा हम अंधेरे में तीर चलाते रहते हैं। और आखिर हम किसलिए लिख रहे हैं। एक संवाद हो। संवाद कैसे होगा। क्या केवल पढ़कर होगा। इसलिए टिप्पणी करने की प्रवृति को बढ़ावा देना जरूरी है और वह भी संवाद के साथ। मेरा मानना है कि टिप्पणी बाक्स में भी ब्लागिंग होती है। वहां केवल वाही वाही नहीं होनी चाहिए। ब्लागर ने जो विचार या बात लिखी है उसे आगे बढ़ाना चाहिए। उसकी एक समालोचना होनी चाहिए। माफ करें मैं तो उस स्पेश का इस्तेमाल इसी तरह करता रहा हूं। और अगर ब्लागिंग में रहा तो करता रहूंगा।
अविनाश भाई के नाम खुला पत्र : राजेश उत्साही
Posted on by राजेश उत्साही in
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आपने बिलकुल सही कहा मेरे ब्लाग पर आयें मै अपने हर पाठक को टिप्पणी जरूर देती हूँ तो अगर आपको टिप्पणे देती हूँ तो जरूर चाहूँगी कि आप मेरे ब्लाग पर भी आयें चाहे कोई इसे लेन देन कहे मगर ये इसान का स्वभाव है मगर कुछ लोग खुद को इतना बदा लेखक या आदमी मानते हैं कि किसी ऐरे गैरे को टिप्पणी देना अपमान समझते हैं अगर वो ये कहते हैं कि उनके पास समय नही है तो भाई बाकी कौन सा खाले बैठे हैं। इस लिये टिप्पणी को लेन देन ना समझ कर उसकी अहमियत और गरिमा को समझें ये भी सही है कि हम रोज सभी को इतनी टिप्पणिया नही दे सकते मगर कभी तो ब्लाग पर आ ही सकते हैं । सच कहूँ तो मेरी अधिक टिप्पणियाँ उन लोगों के ब्लाग पर होती हैं जो कभी भी मेरे ब्लाग पर नही आते। फिर भी अपनी सुविधा अनुसार चल रहे हैं। अगर आप ये चाहो कि खुद टिप्पनी ना करो लोग ही आपके ब्लाग पर आयें तो गलत है। बहुत अच्छा सवाल और मश्विरा है इस पर बहस होनी चाहिये। धन्यवाद । ये मेरे विचार हैं इन्हें अन्यथा न लें
जवाब देंहटाएंटिप्पणी बाक्स में भी ब्लागिंग होती है। आपने सच्ची बात कही पर अभी इधर इतने समझदार नहीं हैं जो इस बात की गहराई को समझ सकें, अपने को हमेशा टिप्पणी बाक्स में ही मजा आया, लेकिन साथ ही मुझे पूरी उम्मीद है ब्लागिंग को बहुत आगे जाना है आज नहीं तो कल सही, इस लिये सभी लगे रहें जुडे रहें
जवाब देंहटाएंAAP SABHI IS KSHETR KE PARTISTHIT LEKHAK HAIN AAP LOG ITNI JALDI MAYOOS KYON HO RAHE HAIN ..AAP KI RCHNAON SE LOG PAR BHAVIT TO HOTE HAIN ..LEKIN SAMAYABHAV KE KARAN ROJ -2 SAB BLOG KO DEKHNA SHAYAD SAMBHAV NAHI HOTA HAI ...ISLIYE AAP LOGO KO HAM JAISE NAYE BLOGGERS KO UTSAHIT KARNE KE LIYE APNI LEKHNI CHLATE RAHNA HI HOGA ..AAP SAB BADE JO HAIN...
जवाब देंहटाएंमैं निर्मला जी के मत से बिल्कुल सहमत हूँ. अगर कोई आपके ब्लॉग पर आकर आपको मान देता है अपनी राय देता है तो यह जरूरी है कि आप उसके मान का मान रखे और उसके ब्लॉग पर जाकर अपनी राय दें. ये राय प्रशंसा ही हो ऐसा कोई भी लेखक नहीं चाहता है. जो बहुत नामी है या फिर सक्रिय है वे भी सभी जगह जाकर टिप्पणी देते हैं . इससे नए लोगों का उत्साहवर्द्धन होता है. लेखनी तो सबकी अलग अलग ही लिखती है. लेकिन कोई ऐसा सोचे तो सही है कि अपने लेखन का आकलन कोई स्वयं तो नहीं कर सकता इससे अच्छा है कि वह बंद ही कर दे. वैसे मेरा सुझाव है की ऐसा न होने दें. सभी को यहाँ पल्लिवित होने दें.सभी सहयोग अपेक्षित है.
जवाब देंहटाएंमेरा भी यही मानना है कि टिप्पणियाँ हमारे आपसी संवाद का साधन है तो क्यों ना इस का प्रयोग किया जाए ?
जवाब देंहटाएंमैं भी इस बात से पूरी तरह सहमत हूँ.आखिर बिना प्रतिक्रिया के लेखन का क्या फायदा...जब तक झंझावत न हो,लहरें न नज़र आयें और बहस शुरू न हो तब तक ब्लोगिंग का क्या लाभ..मैंने भी "मेरी माँ को बचा लो प्लीज" नाम से गंगा को बचाने के लिए एक पोस्ट डाला था पिछले दिनों और उम्मीद की थी कि बात आगे बढ़ेगी पर साथियों की प्रतिक्रिया उत्साहहीन रही जबकि उससे कमतर पोस्ट पर भरपूर टिप्पड़ियां मिल रही हैं.ऐसे में सामाजिक मुद्दों पर लिखने का उत्साह ख़त्म हो जाता है....जागो ब्लोगर जागो..
जवाब देंहटाएंBhai Rajesh, Tulsi das jab likh rahe the to unke likhe par tippadi karne vala koi bhi nahin tha par ve likhte rahe. Valmiki ne kisi tippadi ka intjar nahin kiya. Tumne kya blog banaya tha yahi sochkar ki tum likhoge isliye ki tumhe kuchh dad milegi. Likhna tumne apne dharm ki tarh swikar kiya tha. Likhna bahut aasan kam nahin hai. Tumhen likhna aata hai, yah bhagvan ki kripa samajho. Tum kiske liye likh rahe the ab tak? Tippadikaron ke liye? Khud ke liye, kyonki tum likhe bina nahin rah sakte. Sach mano tum likhe bina kaise rah sakte ho, koi tippadi kare, n kare.
जवाब देंहटाएंJab tum likhte ho to sochte bhi ho aur jab sachte ho to ek chintan dhara paida hoti hai, jo lahron ki tarh antriksh men spandan paida karti hai. yah spandan bahut sukshm star par lekhak ke mantavy ki disha men sakriy hote hain. ve logon ke man ko prabhavit karte hain. tumhare likhne ki yah sarthakata hoti hai. kochh logon ki is bat se main sahmat nahin hun ki agar aap kisi ke blog par tippadi kar aaye to aap uske aane ka intjaar karen aur uske n aane par bura man len. vah n bhi aaye to ek aatmeeyata to tippadikar ke prati uske man men paida ho hi jati hai. aise men jab kabhi ghumte-ghamte vah use pata hai, jaroor kuchh kah jaata hai. aur n bhi aaye to aap yah nishchit samajhen ki aap ne kisi ke blog par tippadi karke uska prem to jeet hi liya hai. jab bhi aap kabhi bhavishy men usse miloge vah aatmeeyata dikhayee padegi.
ek bat aur likhe hue par asli tippadiyan samaj karta hai. vah bad men hotin hain. agar aap kuchh aisa likh rahe hain, jo samaj ke mahatv ka hai, uske upyog ka hai, usmen pran phoonkane vala hai to us par aj bhale tippadi n aaye par bad men aayegi jaroor. maine padha nahin ki Avinashji ne aisa kya likh diya hai, jisse Rajesh itna bada kadam uthane ko majboor ho rahe hain lekin mera Rajesh se atmeey aagrah hai ki ve apna nirnay sthgit kar den kyonki unhonne apni marji se likhna shuru kiya tha, n ki Avinashji ke kahne par. agar Avinashji kee koi bat achchhi nahin lagi ho to unse bat karen, unse laden par likhna kyon chhoden.
पोस्ट सार्थक होगी, कोई विचार होगा तो निश्चित ही उस पर निगाह जाएगी। ऐसे ही आपकी टिप्पणी भी विचावान होगी तो आप पर ध्यान केन्द्रित होगा ही। केवल ब्लाग पर ही पोस्ट लिखने से काम नहीं चलेगा। यहाँ कुछ लोग हैं जो सार्थक विषय पढना चाहते हैं। जब नहीं मिलता तो पोस्ट देखकर चले जाते हैं। आप सार्थक विषय लिखिए फिर देखिए हम जैसे तो अवश्य ही आएंगे। यह बात अलग है कि कभी-कभार नजर ना पड़े लेकिन अच्छी पोस्ट और अच्छे विचार ज्यादा देर छिपते नहीं है। अत: ब्लाग पर लिखना छोड़ कुछ सार्थक लिखें।
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिखते हो यार , अपने आप पर व्यंग्य करने वालों में आत्मविश्वास तो होता ही है !
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