जीवन रूकता नहीं है किसी के जाने या आने से।
जीवन सदा चलता रहता है कभी इस तो कभी उस बहाने से।
कितना भी बहा तो विचारों का दरिया।
कभी चुकता नहीं है पानी नल खुला छोड़कर जाने से।
रहेगा बहेगा तो इसी धरती पर, विचारों का दरिया है इसे समा जाने दो धरती के सीने में।
सोता बनकर निकलेगा ऊर्जा का, हमारे सबके दिमागों से।
बादलों को पहचानिए, कहां के बादल हैं हम
अपनी इस यात्रा के किस्से आपके लिए कल से पेश करूंगा। आप पढ़ना चाहें तो मेरे ब्लॉग खंगाल सकते हैं। आगरा में 19 जून से लेकर 23 जून 2010 तक रहा। कई नए ब्लॉग शुरू हुए। कई नेक लोग सक्रिय हुए। उन सबकी दास्तां शुरू होने ही वाली है। आगरा में डॉ. सुभाष राय जी के साथ मुलाकात का जो सफर शुरू हुआ, उसका सचित्र विवरण भी अगली पोस्टों में मिलेगा। सुभाष जी के साथ प्रत्येक मुलाकात एक नई तरंग लाई। उस तरंग का रंग किस किस पर चढ़ा, आप पढ़ेंगे। आपके मन भी निराले रंगों से रंगे मिलेंगे।
जयपुर पहुंचा - वहां पर जो मुलाकातें शुरू हुईं हरिप्रसाद शर्मा जी से, वे संपन्न हुईं व्यंग्यकार अनुराग वाजपेयी जी के साथ। बीच-बीच में जो सफर के साथी बने, उनसे रूबरू होने के लिए आप भी तैयार रहें। इस यात्रा में जो आनंद आया उसे सबके साथ लुटाने के लिए तैयार बैठा हूं।
मेरी इस यात्रा के साथी मेरा परिवार, मेरी कार, पवन चंदन का कैमरा, नई लेनोवा की एस 10-3 नेटबुक, दो मोबाइल फोन वगैरह रहे। सब अपनी दास्तां अपने निराले अंदाज में ब्यां करेंगे।
मेरा परिवार, मेरी कार, पवन चंदन का कैमरा, नई लेनोवा की एस 10-3 नेटबुक, दो मोबाइल फोन वगैरह
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया जी,मौजां ही मौजां
हम इंतजार कर रहे हैं आपकी दास्तां सुनने का ...
जवाब देंहटाएंब्लॉगिंग में ५ वर्ष पूरे अब आगे… कुछ यादें…कुछ बातें... विवेक रस्तोगी
आगे सुखी परिवार और पीछे राजनीती
जवाब देंहटाएंवाह वाह वाह
बहुत ही शानदार और जानदार।
जवाब देंहटाएंआपको बधाई हो इस सार्थक यात्रा के लिए।
इन्तजार रहेगा!
जवाब देंहटाएंनदी का बहना भी अविरत है ...बहते रहो !!
जवाब देंहटाएंवाह, आनंद की बात है. नए लोग भी जुड़े तो और भी अच्छा. बहुत बहुत बधाई.
जवाब देंहटाएंबडे भाई आप लुट गये और हमे पता भी न चला.
जवाब देंहटाएंसही तो ये है कि लुटे तो हम और वो भी बहुत सस्ते सिर्फ आपकी मनमोहनी हंसी में
कहैर दिल्ली पहुंचने की बधाई
www.kabhi-to.blogspot.com
जयपुर की तारीखें हमें बताई होतीं तो हम भी आप से आ कर भिड़ लिए होते।
जवाब देंहटाएंमेरा परिवार, मेरी कार, पवन चंदन का कैमरा, नई लेनोवा की एस 10-3 नेटबुक, दो मोबाइल फोन...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया...
अविनाशजी, बच्चों को घर आना चाहिये था, चलिये अगली बार. आप दिल्ली आ गये तो अब रोज कुछ न कुछ मिलेगा. आप लुटे तो हम भी बचे कहां. बादल कैद किया, अच्छे लगे पर आजकल बादल बहुत तरसा रहे हैं. ये किसी के नहीं और कहीं के नहीं हो सकते. आप बता सकते हैं जो बादल आप ने कैमरे में कैद किये, वे अब कहां होंगे? न रुकते हैं, न बरसते हैं. बहुत जालिम हो गये हैं बदरा.
जवाब देंहटाएंयात्रा का विवरण सुनने -जानने का इंतजार रहेगा ।
जवाब देंहटाएंइंतजार रहेगा
जवाब देंहटाएंराज मंदिर सिनेमा के बाहर आपको देख तबियत चकाचक हो गयी...अपना जयपुर है ही ऐसा...काश हम भी वहां होते तो कुछ और बात होती...चलिए फिर कभी सही...यात्रा वृतांत का इंतज़ार है...
जवाब देंहटाएंनीरज
आपकी यात्रा वृत्तांत का बेसब्री से इंतज़ार रहेगा...और साथ ही हमारे यहाँ आने का भी हमें बड़ी बेसब्री से इंतज़ार है,,,शायद कभी हमारे भी भाग्य हों आपके सानिध्य का..शायद कभी बीकानेर की भी यात्रा हो.. इसी आशा में बैठे हैं हम भी. श्री अविनाश सर के समर्पण, सहयोग और निरंतारना को साधुवाद !
जवाब देंहटाएंहम भी इंतज़ार में है भाई जी !
जवाब देंहटाएंबादल तो आसमान के हैं । धरती कब रिश्ता जोड़ पायी इन बादलों से ।
जवाब देंहटाएंआगे का खबर सुनने को हम सब बेकरार है...दिल्ली जयपूर यात्रा बढ़िया प्रस्तुति है..
जवाब देंहटाएंBlogvani kab jaagegi
जवाब देंहटाएंhttp://sunilkefunde.blogspot.com
यात्रा वृतांत पूरा पडने का इन्तजार रहेगा .....
जवाब देंहटाएंवो बादल वहां के हैं जहा की हवा हैं ..वहीं जायेगे जहां हवा जायेगी .....
intejaar rahega sir... par mushkil ye hai ki mujhse jyada intejaar hota nahi...
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