आगरा में खिलखिलाई हिन्‍दी ब्‍लॉग प्रेम की नई रोशनाई

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  • अविनाश वाचस्पति
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  • यह पोस्‍ट डॉ. सुभाष राय जी द्वारा लिखी गई है परंतु इसे पोस्‍ट करने का कार्य मैंने किया है। अब यह रिपोर्ट आपके मनन के लिए पेश है। इस संबंध में इत्‍तेफाक रखते हुए मैं अपनी सभी पोस्‍टें दिल्‍ली पहुंचने के बाद ही लिख-प्रकाशित कर पाऊंगा। अतएव, जिज्ञासा रखते हुए धैर्य बनाए रखिएगा। >




    अविनाश जी के साथ होना अपने आप में एक अनुभव है। वे जिस आत्मीयता से मिलते हैं, बांध लेते हैं। मेरे उनके परिचय के बाद यह उनकी दूसरी आगरा यात्रा है। उनकी हर यात्रा एक नयी ब्लॉगगाथा होती है। कभी-कभी मैं समझ नहीं पाता हूं कि उनकी इस ब्लॉगमयता के क्या मायने हैं। पर जब भी इस तरह की उलझन होती है, भीतर से ही जवाब आता है कि इस आदमी के भीतर एक नयी दुनिया की कल्पना है. ब्लॉगों के जरिये एक दूसरे से जुड़ते लोग विचारों की जो नयी दुनिया रच रहे हैं, उसमें इस असल दुनिया से ज्यादा अपनापन, एक दूसरे के सुख-दुख में शामिल होने या खड़े रहने का ज्यादा गहरा भाव होगा। यह अभी से दिखता भी है। हम सभी चिंतित रहते हैं कि इस कल्पना को पंख लगने हैं तो पहले से ही सजग रहना होगा, देखना होगा कि कोई इस उड़ान पर जाल न फेंक दे, कोई बहेलिया छिप-छिपाकर इस जमात में न शामिल हो जाये जो नयी कोंपल की शक्ल में उगते सपनों को पिंजरे  में कैद कर दे या उन पर छुरी चला दे। 
    शायद इसीलिए अविनाश जी और उनके हम जैसे तमाम मित्र यह चाहते हैं कि ब्लॉग अपनी निजी डायरी की छवि से बाहर निकले। निजी जीवन की मनोरंजक उत्तेजनाओं का जो आनंद है, ब्लॉग उससे मुक्ति पाये। जब हम दूसरों के दुख की पहचान कर पायेंगे, उनकी पीड़ा को अपनी पीड़ा की तरह देख पायेंगे और उन लोगों को भी पहचान सकेंगे, जो उन दुखों के अंधियारे चीरकर कुछ रोशनी करने के लिए लड़ रहे हैं, ऐसी रोशनाई की चमक मनों में चमकाना चाह रहे हैं,  तभी हम ब्लॉगों में जीवन की जीवंतता, उसके संघर्ष, उसकी सफलता का चित्र उकेर सकेंगे.  तभी हम सूरज की, रोशनी की बात कर पायेंगे और तभी हम विपन्नता के पायदान पर खड़े अकिंचनों को ऊपर उठाने में कामयाब होंगे। ब्लॉगलेखकों की ऐसी दृष्टि निश्चय ही चिंतन और संघर्ष की नयी चेतना जगाने में कामयाब होगी। यही तो अविनाशजी की नयी दुनिया की कल्पना है। भले ही वह आरंभ में छोटी हो पर धीरे-धीरे वह विस्तार लेगी, लोग जुड़ते जायेंगे और कारवां बनता जायेगा। ऐसा ही एक कारवां बना आगरा में. इसे ही आप चाहें तो ब्लॉगर मिलन कह सकते हैं।
     
    सोम ठाकुर के जीवंत गीतों की प्रेरणा समझिये या डॉ. बीना शर्मा जी के प्रयासों का आकर्षण, हम सोमवार की सुबह प्रयास के आंगन में उन बच्चों के साथ थे, जिन्हें अगर प्रयास के हाथ बढ़कर नहीं थामते तो उनकी जिंदगी का अंधेरा और गहरा हो जाता। मैं था, अविनाशजी थे, सरवत जमाल साहब थे, अल्का मिश्र थीं। बच्चे सामने थे, घंटे भर बातचीत हुई। लखनऊ से आये शायर सरवत जमाल ने बच्चों को लखनऊ की तहजीब के बारे में बताया, वहां के भूगोल की जानकारी दी और उनसे वचन लिया कि वे जिंदगी में झूठ नहीं बोलेंगे, खूब पढ़ेंगे और दूसरों की मदद करेंगे। अविनाशजी ने जीवन में सद्गुणों की, अनुशासन की  जरूरत पर जोर दिया। अल्काजी ने अपने आयुर्वेद के कुछ जीवंत नुस्खे बताये। धूप चढ़ रही थी, इसलिए बच्चों को छोड़ दिया गया और हम सब बीनाजी के ड्राइंग रूम में जम कर बैठे। फिर अपने आस-पास की उस दुनिया के बारे में बात हुई, जो धीरे-धीरे अपना संवेदन खो रही है। इस धारा को कैसे पलटा जाय और इसमें ब्लॉगरों का क्या योगदान हो सकता है, इस पर भी विचार हुआ। बातचीत में अविनाशजी, जमाल साहब, अल्का जी, बीनाजी के अलावा बीनाजी के पुत्र डॉ. वरुण भारद्वाज, सुधीर कुमार जी और ओम प्रकाश मखीजाजी पूरी तन्मयता से शामिल रहे। मैं भी रहा। ये सभी किसी न किसी रूप में ब्लॉग की दुनिया से जुड़े हुए हैं। तो यह ब्लॉगर मिलन ही तो रहा। 
    पर यह मिलन इस दायरे से बाहर भी फैला रहा। जिन लोगों को पता था कि अविनाशजी आगरा में हैं, उनमें से कुछ ने उसी समय फोन किये, जब हम विचार-विमर्श में व्यस्त थे। शशि सिंहल, शिवम् मिश्र  और पाखी से प्रतिभाजी अनायास ही इस मिलन का हिस्सा बन गये । मैं उन लोगों को भी इस दायरे में शामिल करता हूं जो किसी न किसी रूप में इस आगरा चर्चा को लेकर उत्सुक रहे, जिन्होंने नुक्कड़ पर पहुंचकर अपनी मौजूदगी दर्शायी। उड़नतश्तरी की ओर से  प्रणाम बांचा गया, वेद व्यथित और राम त्यागी की शुभकामनाओं से बल मिला और सजीव शर्मा, शशिजी तथा शिवम् की हाजिरी लगाई गयी. ये सभी एक तरह से मिलन में उपस्थित रहे.  इसके अलावा घर से न निकल पाने के बावजूद डॉ. त्रिमोहन तरल हमारे साथ रहे। उनका गहराइयां ब्लॉग निजी डायरी की तरह होकर भी अपने सार्वजनीन संदेशों के कारण हमारी नजर में है। उन्हें सलाह दी गयी कि वे अपना ब्लॉग सार्वजनिक करें, ब्लॉग संयोजकों से जोड़ें। शाम होते-होते व्यंग्यकार डॉ. राकेश शरद से भी अविनाशजी की मंत्रणा हो गयी। वे व्यंग्यम् शरणम् गच्छामि नाम से ब्लॉग लिखते हैं। यह ब्लॉग यात्रा का एक पड़ाव भर है। अभी  आज-कल दो दिन और अविनाशजी आगरे में हैं। उम्मीद है कि यह समय भी रचनात्मक सोच-विचार के साथ ही गुजरेगा।   
    अविनाशजी की यह ब्‍लॉगर मिलन यात्रा थमेगी नहीं अपितु 24 जून 2010 को जयपुर पहुंचेगी और हिन्‍दी ब्‍लॉग क्रांति के चतुर्दिक स्‍नेह की यह मिसाल ज्‍वाला बन कर हिन्‍दी ब्‍लॉगरों के ब्‍लॉगों की और उनके मन की रोशनाई बनके हिन्‍दीहित में अपनी संपूर्णता में दहकेगी।  

    11 टिप्‍पणियां:

    1. अच्छा लगा रिपोर्ट् पढकर

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    2. baki to sb thik hai pr raj netaon ki hajiriki trh in maasoom bchchon ko kyon preshan kiya hai yh glt hai
      ved vyathit

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    3. वेद जी ,प्रयास के बच्चे सायास लाये नही गये है बल्कि वे रोजन सुबह सात बजे से दस बजे तक प्रयास मे सीखने के लिये आते है ।यह सब उसी कार्यक्रम का हिस्सा है ।विश्वास रखिये इन मासूमो को परेशान करने की तो स्वप्न मे भी नही सोच सकते।
      कभी आप भी आये तो अच्छा लगेगा ।
      तब तक आप इसे देखिये लिक् hai prayasagra.org

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    4. बहुत अच्छा लगा इस ब्लॉगर मिलन के बारे में जान कर ! यह एक प्रमाणित सत्य है कि ब्लॉग अब केवल एक निजी डायरी लेखन नहीं रह गया है..........हम लोगो में से बहुत से लोग आज इस ब्लॉग के मार्फ़त ही समाज सेवा के विभिन्न पहलुयो को सब के सामने ला रहे है| आशा है हम सब के इस प्रयासों से सब का अगर न भी हो तो कुछ का तो भला जरूर होगा ही !

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    5. सफल ब्लॉगर मीट के लिए बधाई और मेरी उपस्थिति दर्ज करने के लिए भी. आशा है हमारी यात्रा इसीतरह अविराम आगे बढती रहेगी.
      www.jugaali.blogspot.com

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    6. आ गया है ब्लॉग संकलन का नया अवतार: हमारीवाणी.कॉम



      हिंदी ब्लॉग लिखने वाले लेखकों के लिए खुशखबरी!

      ब्लॉग जगत के लिए हमारीवाणी नाम से एकदम नया और अद्भुत ब्लॉग संकलक बनकर तैयार है। इस ब्लॉग संकलक के द्वारा हिंदी ब्लॉग लेखन को एक नई सोच के साथ प्रोत्साहित करने के योजना है। इसमें सबसे अहम् बात तो यह है की यह ब्लॉग लेखकों का अपना ब्लॉग संकलक होगा।

      अधिक पढने के लिए चटका लगाएँ:
      http://hamarivani.blogspot.com

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    7. अच्छी रिपोर्ट और नेक इरादे की रिपोर्ट के लिए अविनाश जी ,और सुभाष राय को बधाई.

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    8. avinash jee kee agra yatra bahut badhiyaa rahee abhee intzar hai unkaa jaipur mai aur is blogar milan mai shamil hone wale sabhee bloggars ko bhee bahut bahut badhaai

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    9. कैसे बताऊँ कि मैं इस सम्मलेन का हिस्सा ना बन सकी इसका कितना दुःख मुझे हो रहा है ! आप सबको तस्वीरों में देख कर ही खुश हो रही हूँ ! आप सभी के लिये, अपने 'प्रयास' के लिये और उसके सभी बेहद प्यारे और सुयोग्य बच्चों के लिये मेरी अशेष शुभकामनायें स्वीकार करियेगा ! यहाँ से लौटते ही अपने बच्चों से मिलने जरूर आऊँगी !

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    आपके आने के लिए धन्यवाद
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