आर्थिक आज़ादी की लड़ाई - 70,00,000 करोड़ स्विस बैंक में

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  • सूचना  मिली है, स्विस बैंक अपने यहाँ जमा भारतीयों के धन का खुलासा करने को सहमत हो गया है.
     

    स्विस बैंकका चित्र - गूगल से साभार


    भारतीय नागरिको के  70 लाख करोड़ रुपए स्विट्जरलैंड के बैंकों में पड़े हुए है और जिन १८० देशो के नागरिको के पैसे स्विस बैंकों में पड़े हुए हैं उनमे भारत की यह राशि सर्वोपरि है जो इस बात का सूचक है कि भारत के राजनेता, नौकरशाह और अन्य भाग्य विधाताओं के कारण भारतीय काले धन के चैंपियन हैं. स्विस सरकार ने आधिकारिक तौर पर भारत सरकार को लिखा है कि वे अपने बैंकों में 70 लाख करोड़ रुपए के धारकों के विवरण को सूचित करने को तैयार हैं अगर भारत सरकार आधिकारिक तौर पर उन्हें इसके बारे में पूछती है. लेकिन भारत सरकार ने १९४७ से आज तक भारत से बाहर गए इस धन के बारे में किसी भी पूछताछ में कोई रूचि नही दिखलाई है.

    विपक्षी पार्टी भी चुनाव के समय के अलावा इस मुद्दे पर कोई रूचि नही दिखा रही क्योकि इस धन के स्वामी अधिकतर राजनेता ही है और वो सभी पार्टियों में भरे हुए हैं. यह धन हमारे देश के लोगो की खून पसीने की कमाई और  इन निधियों से हम अपने देश के विदेशी ऋण को 13 बार चुका सकते हैं. सिर्फ ब्याज केंद्र के वार्षिक बजट के बराबर हो सकता है. इस राशि को मिलाने के बाद अनेक करों को बंद किया जा सकता है. और 45 करोड़ गरीब परिवारों में से प्रत्येक को 1 लाख रुपये जीवन स्तर सुधारने और रोजगार को दिए जा सकते हैं. .  
    हम कल्पना करते है कि अगर स्विस बैंक रूपये रखे हुये रुपये 70 लाख करोड़ है, तो कितने पैसे अन्य 69 बैंकों में जमा होंगे. यह वो निधि है जो जिताभारत की जनता से छिपा कर जमा की गई है. अगर खाता धारक मर जाता है तो बैंक खाते में जमा धन का मालिक बन जाता है. हम भारतीय लोगों ने पहले भी इसके बारे में पढ़ा है और इन तथ्यों के बारे में जानते हैं. लेकिन असहाय लोग जीवन की आपाधापी में ना तो समय निकाल पाते हैं ना इसके बारे में चिंतित हैं. फिर से कहना चाहूँगा कि यह धन हमारी खून पसीने की कमाई है और हम भारतीयों ने अनेक मानसिक और शारीरिक प्रयासों के बाद अर्जित की है.इस धन को भारत वापिस आना ही चाहिए.
    आओ आर्थिक आज़ादी के नये संघर्ष का बिगुल बजाएं.. .

    4 टिप्‍पणियां:

    1. अगर खाता धारक मर जाता है तो बैंक खाते में जमा धन का मालिक बन जाता है.
      .. इसके बावजूद भारतीय बार बार बेवकूफ बनते हैं !!

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    2. 70 लाख करोड़ रूपये, यद्यपि जिसकी सही गिनती कोई नहीं जानता, का मतलब लगभग 137 बिलियन डालर होता है. केंद्रीय सरकार का सालाना बजट इस साल 10 लाख करोड़ रूपये था, राज्य सरकारों का अलग से.

      आजकल शंघाई में चल रहे मेले के चलते, जिसमें भारत भी भाग ले रहा है, चीन सरकार ने 100 बिलियन डालर शंघाई शहर की कायापलट पर लगाए हैं. इसलिए समझा जा सकता है कि 137 बिलियन डालर आख़िर इतनी बड़ी रकम भी नहीं है जितनी बड़ी इसे बाबा रामदेव टाइप विपक्षी, चुनावों के नज़रिये से बताते घूम रहे हैं कि एक बार यह पैसा आ गया तो बस देश अगले ही दिन विकसित हो जाएगा, हर गांव में कनाट प्लेस बन जाएंगे, हर गांव में आक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय खुल जाएंगे और देश के किसान जीन्स पहन कर राल्स रायस कारों में घूमने लग जाएंगे.

      नि:संदेह यह भारत सरकार के अधिकार क्षेत्र वाला काला धन है जो भारत लौटना ही चाहिये.

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    3. कौन लौटाना चाहता है, वे अफसर और नेता जिन्होंने जमा किया है या वे जो जमा कर रहे हैं...

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    4. बहुत बढ़िया खबर सुनाई, दादा !आभार !

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