एक विनम्र निवेदन हिंदी चिट्ठाकारों से

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  • रवीन्द्र प्रभात
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  • ब्लोगोत्सव-२०१० के अंतर्गत परिकल्पना सम्मान- २०१० प्रक्रिया  में


    सम्मानीय मित्रो, अभिवादन !


    जैसा कि आप सभी को विदित है कि ब्लोगोत्सव-२०१० के  ग्यारह दिनों का कार्यक्रम पूरी भव्यता के साथ संपन्न हो चुका है .  प्रत्येक दिन के कार्यक्रम को आप देख भी रहे होंगे . यह कार्यक्रम दो महीने तक चलेगा, किन्तु आखिरी १५ दिन सारस्वत सम्मान हेतु सुरक्षित रखा गया है . ब्लोगोत्सव की टीम इस दिशा में सक्रिय हो चुकी है . इसलिए संभव है आपको अपनी  प्रेषित रचनाओं की पावती ब्लोगोत्सव कार्यक्रम समन्वयन टीम की ओर प्राप्त न हो, किन्तु आपसे मेरा वादा है कि जो रचनाएँ आगामी १० दिनों के भीतर हमें  प्राप्त हो जायेगी हम उसे इस उत्सव में अवश्य शामिल करेंगे . 


    साथ ही आप सभी को यह भी अवगत कराते हुए वेहद ख़ुशी हो रही है, कि विगत वर्ष मेरे द्वारा परिकल्पना ब्लॉग विश्लेषण 24 खण्डों में परिकल्पना पर प्रकाशित किया गया था, उस विश्लेषण को एक दस्तावेज के रूप में संगृहीत करने के उद्देश्य से लोक संघर्ष पत्रिका मेरी सहमति के उपरांत अपने मई-२०१० अंक में संक्षिप्तता के साथ १० पृष्ठों में प्रकाशित कर रहा है .यह अंक १५ मई तक आने की संभावना है .
    हाँ ! चलते-चलते आप सभी को एक और सूचना दे दूं कि ब्लोगोत्सव-२०१० में जो भी सामग्री प्रस्तुत की जा रही है उसे लोकसंघर्ष पत्रिका अपने आगामी अंक में पुस्तक के रूप में सग्रहित करने जा रही है . इस दिशा में पत्रिका के संपादक मु. शुएब के नेतृत्व में कार्य प्रारंभ किया जा चुका है ! 
    ऐसा प्रयास किया जा रहा है कि आगामी दो-तीन माह के बाद लखनऊ में ब्लोगोत्सव की टीम एक कार्यक्रम का आयोजन करेगी जिसमें ब्लोगोत्सव के अंतर्गत सम्मानित सृजनकर्मियों को एक भव्य मंच से किसी अति विशिष्ट व्यक्ति के कर कमलों से समानित किया जाएगा . इसमें सारस्वत सम्मान की सभी आवश्यक प्रक्रियाओं के सात-साथ पूरी पवित्रता और गरिमा बनाए रखी जायेगी .

    अत: आप सभी से विनम्र निवेदन है कि जो चिट्ठाकार किसी अपरिहार्य कारणों से इसमें शामिल नहीं हो सके हैं अपनी एक-दो रचनाओं , फोटो और संक्षिप्त परिचय के साथ इस ई मेल आई ड़ी पर अवश्य भेज दें .

    रचनाएँ भेजने का पता :ravindra.prabhat@gmail.com
    कार्यक्रम स्थल का पता :http://utsav.parikalpnaa.com/

    ध्यान दें- एक भी चिट्ठाकार छूटेगा तो संकल्प हमारा टूटेगा !

    इसलिए इसे अतिआवश्यक समझें ! 

    आपका-
    रवीन्द्र प्रभात

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