‘लाफिंग बुद्धा’ बने मनमोहन

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  • उपदेश सक्सेना
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    प्रधानमन्त्री डॉ. मनमोहन सिंह को आज मैंने सम्भवतः पहली बार मुस्कुराते देखा. अपनी सरकार के लगातार दूसरे कार्यकाल की पहली वर्षगाँठ के मौके पर विज्ञान भवन की अपनी पहली पत्रकार वार्ता कई मायनों में अनूठी रही. इनमें से कुछ कारण बिन्दुवार पेश हैं.-
    1. हॉल में प्रवेश के बाद सीट संभालते ही मन ने मुस्कराहट से पत्रकारों को मोह लिया.
    2. यहाँ पत्रकार नाम-संस्थान की बजाए, नंबर से पहचाने गए.
    3. हिंदी की दुर्दशा, यहाँ भी हुई, सवाल पूछने के ज़्यादातर मौके अंग्रेज़ी मीडिया को मिले.
    4. कई हिंदी पत्रकारों ने भी अंग्रेज़ी में सवाल पूछने में अपनी शान समझी.
    5. पहले ही सवाल में मनमोहन को पानी पीना पड़ा.
    6. परम्परागत तरीके से इस पत्रकार-वार्ता के सीधे प्रसारण का ज़िम्मा दूरदर्शन के पास था.
    7. दूरदर्शन भी अपनी रिवायत भला क्यों छोडता, शुरूआती दौर में ही लगभग छः मिनट
        तक लिंक टूटने से प्रसारण ठप्प हो गया.
    8. कई पत्रकार ‘मन” से सवाल पूछने में हडबडा गए.
    9. पत्रकार वार्ता का संचालन प्रधानमन्त्री के मीडिया सलाहकार हरीश खरे ने किया, वे ही  
       पत्रकारों के नंबर पुकार रहे थे.
    10. मनमोहन इस तरह से जबाब देते रहे जैसे विपक्षी प्रतिनिधियों से रूबरू हो रहे हों.





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