खुशदीप सहगल और उनकी चिंता पर मेरी निश्चिंतता : इंटरनेशनल दिल्‍ली हिन्‍दी ब्‍लॉगर मिलन


यह पोस्‍ट सिर्फ खुशदीप सहगल जी के लिए लिखी गई है। इससे इतर अगर कुमार जलजला, ढपोरशंख, पोलखोलूं या अन्‍य बेनामी यह समझें कि उन्‍हें अहमियत दी जा रही है तो वे इस मुगालते से तुरंत बाहर निकल जाएं।


दिल्‍ली ब्‍लॉगर मीट से पहले मन भारी है ... खुशदीप सहगल

राजभाटिया और हम सबके खुशहाल भाजी।

चिंता को त्‍यागे सिर्फ चिंतन को धारें।

चिंतित तो मुझे होना चाहिए और मैं बिल्‍कुल निश्चिंत हूं।

मुझे मालूम है कि जो अपनी पहचान जाहिर नहीं कर रहा है और न करना चाहता है, उससे कभी नहीं डरना चाहिए। वो डराना चाह रहा है आप आप डर कर उसकी हिम्‍मत में बेवजह इजाफा कर रहे हैं। आपसे तो मेरे मन में खुशियों के दीप जल जाते हैं और आप दीप की खुशियों की ज्‍वाला को इन झोंको का डर, समझ नहीं आ रहा है । भाई सतीश सक्‍सेना का विदेश में होना - हमारी एक अच्‍छाई का इस महत्‍वपूर्ण अवसर पर दूर होना, उन्‍हें दूर न समझें, वे मन में अपनी समस्‍त अच्‍छाईयों के साथ बसे हुए हैं जिस प्रकार आपकी खुशहाल छवि मेरे मन में सदा के लिए छपी हुई है।

कुमार जलजला को तो हम वैसे ही ठंडा पानी डालकर हम बुझाने में समर्थ हैं आयोजन स्‍थल पर पानी के दो टैंकरो का इंतजाम किया गया है जिनमें प्रत्‍येक में पांच-पांच बर्फ की सिल्लियां डालकर पानी को ठंडा करने की प्रक्रिया सुबह से ही चालू है। उस जला को सिल्लियों का ठंडा जल डालकर दलदल करने की पूरी क्षमता मुझ में मौजूद है। वो अगर वहां आता है तो अपने पूरी माफीनामे के साथ खेद व्‍यक्‍त करते हुए अपनी बुराईयों को छोड़ने और हमारी अच्‍छाईयों को अवश्‍य अपनाएगा। मुझे अपने सच पर पूरा भरोसा है और ये यूं ही नहीं है, इसमें आप अजय कुमार झा सहित सब भाईयों का सच्‍चा साथ है।

अब ढपोरशंख की क्‍लास लेता हूं - ढपोरशंख वाली ज्ञान की बातें मेरे सामने कोई वजूद नहीं रखती हैं। मात्र नाम के अंत में शंख चस्‍पा कर लेने से शंख के गुणों की काबलियत नहीं आ जाती। जिस प्रकार अविनाश के अंत में नाश का होना मेरी अच्‍छाईयों का अंत नहीं कर सकता उसी प्रकार ढपोर ढोर तो बन सकता है पर शंख नहीं। उसके इंसानी न होने तक में मुझे संपूर्ण विश्‍वास है।

बात पोलखोलू की, जब वो अपनी और अपने बेनामी और नामधारी साथियों की पोल खोलने में ही समर्थ नही है। वो जो भी बोलेगा जिसकी पोल भी खोलना चाहेगा। नहीं खोल सकता है क्‍योंकि इन सबको अपने बनाये हुए खोलों में रहने की आदत हो गई है। सच्‍चाई है कि ये सब वहां रहकर पोल जानने में ही समर्थ नहीं हैं। जिसको जानकारी ही नहीं है वो खोलेगा क्‍या और छिपाएगा क्‍या ? टिप्‍पणियों में ही ये आ सकते हैं और अगर वहां पर इन पर ध्‍यान न दें तो ये वहां आना भी बंद कर देंगे।


इसलिए ये तीनों अपनी बेनामी टीम के साथ छिपे ही रहेंगे क्‍योंकि ये बुराईयों के प्रतीक हैं और इन बुराईयों के समूल नाश के लिए हमें चाणक्‍य बनकर इनकी जड़ों में मट्ठा डालने का कार्य करना होगा। वो मुश्किल नहीं है, बहुत आसान है। उनकी टिप्‍पणियों, उनकी बातों पर बिल्‍कुल गौर न किया जाए और जहां वे नजर आएं उन्‍हें डिलीट कर दिया जाए। या बनी भी रहें तो क्‍या फर्क पड़ता है जब हम उनकी तरफ गौर ही नहीं कर रहे हैं। अगर ये मिलन समारोह में अपनी पहचान भी जाहिर कर दें तो भी इन्‍हें उत्‍सुकता न देखा जाए और न इन पर कोई तवज्‍जो दी जाए। समारोह की कार्यवाही में तो इनका जिक्र आना ही नहीं चाहिए। अगर आएगा भी सिर्फ उपहास उड़ाने के तौर पर ही इनका जिक्र किया जा सकता है इससे अधिक तनिक भी नहीं।

इन्‍हें हमारी अच्‍छाईयों से डरना चाहिए। इनकी बुराईयों से हम क्‍यों डरें, क्‍या हमें इनकी बुराईयों के डर से अपने हिन्‍दी ब्‍लॉगजगत का मैदान खाली कर देना चाहिए। अगर हम अपनी अच्‍छाईयों के साथ डटे नहीं रहेंगे तो ये लोग जरूर वहां पर भी कब्‍जा जमा लेंगे। जैसे इन्‍होंने आपके मन पर कब्‍जा जमा लिया है। इन्‍हें काबिज मत होने दें। अपनी काबलियत के जोर पर हम अपनी अच्‍छाईयों के बल पर इनकी बुराईयों का सत्‍यानाश करने में पूर्ण सक्षम बनें और संपूर्ण विश्‍वास के साथ बेभय होकर माननीय मेहमानों संगीता पुरी, ललित शर्मा, प्रशांत (थाईलैंड) महफूज अली इत्‍यादि के सम्‍मान के लिए हाजिर हों।

12 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी साडी बातें ठीक है अविनाश जी लेकिन ये किस तरह का आचरण है,जो लोग अपनी पहचान तक छुपाने को मजबूर हैं / इस चीज को हम सब को मिलकर रोकना ही होगा ,चाहे वो कोई भो हो छुप कर लिखना या टिपण्णी करना इंसानियत को शर्मसार करने वाली घटना है /

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  2. @ जयकुमार झा


    वे अपने दुष्‍कृत्‍यों से हैं इतने शर्मिन्‍दा
    इसलिए अपने को नहीं मान रहे जिन्‍दा

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  3. आपने ही कहा की यह मेरे लिए नहीं है !

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  4. @ अरविन्‍द मिश्र


    ऐसा नहीं है आपके चैट बॉक्‍स में पहले एक ऐसा लिंक अथवा मेल पता चला गया था जो कि किसी अन्‍य को दे रहा था। इसलिए लिखा था परंतु उसके बाद का लिंक आपके ही लिए था। आपके बॉकस में लिंक दूं और यह कहूं कि यह आपके लिए नहीं है, ऐसा मैं कैसे कर सकता हूं भाईसाहब।

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  5. बेनामीमई 23, 2010 9:17 am

    अविनाश जी
    काफी प्रयासों के बाद भी मेरा पहुँच पाना संभव नहीं हो पाया। हालांकि अब अगले माह का कार्यक्रम बना हुआ है उत्तर भारत की यात्रा का।

    तमाम हल्की फुल्की चुटकियों, हवायों, अफवाहों, आशंकाओं को दरकिनार कीजिए और आनंद लीजिए साथियों की खिलखिलाहट का

    दिल्ली हिन्दी ब्लॉगर मिलन की सफलता हेतु बधाई व शुभकामनाएँ

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  6. आप लोग मेरी वजह से ब्लागर मीट में आने का कार्यक्रम न छोड़े. वह तो अविनाश वाचस्पति साहब ने ही अपनी पोस्ट में लिखा था कि जलजला मौजूद रहेगा इसलिए मैं दिल्ली पहुंच गया था. अब लौट रहा हूं. आप सभी लोग लाल-पीली-नीली जिस तरह की टीशर्ट संदूक से मिले वह पहनकर कार्यक्रम में पहुंच सकते हैं.
    यह दुनिया बड़ी विचित्र है..... पहले तो कहते हैं कि सामने आओ... सामने आओ, और फिर जब कोई सामने आने के लिए तैयार हो जाता है तो कहते हैं हम नहीं आएंगे. जरा दिल से सोचिएगा कि मैंने अब तक किसी को क्या नुकसान पहुंचाया है. किसकी भैंस खोल दी है। आप लोग न अच्छा मजाक सह सकते हैं और न ही आप लोगों को सच अच्छा लगता है.जलजला ने अपनी किसी भी टिप्पणी में किसी की अवमानना करने का प्रयास कभी नहीं किया. मैं तो आप सब लोगों को जानता हूं लेकिन मुझे जाने बगैर आप लोगों ने मुझे फिरकापरस्त, पिलपिला, पानी का जला, बुलबुला और भी न जाने कितनी विचित्र किस्म की गालियां दी है. क्या मेरा अपराध सिर्फ यही है कि मैंने ज्ञानचंद विवाद से आप लोगों का ध्यान हटाने का प्रयास किया। क्या मेरा अपराध यही है कि मैंने सम्मान देने की बात कही. क्या मेरा यह प्रयास लोगों के दिलों में नफरत का बीज बोने का प्रयास है. क्या इतने कमजोर है आप लोग कि आप लोगों का मन भारी हो जाएगा. जलजला भी इसी देश का नागरिक है और बीमार तो कतई नहीं है कि उसे रांची भेजने की जरूरत पड़े. आप लोगों की एक बार फिर से शुभकामनाएं. मेरा यकीन मानिए मैं सम्मेलन को हर हाल में सफल होते हुए ही देखना चाहता हूं. आप सब यदि मुझे सम्मेलन में सबसे अंत में श्रद्धाजंलि देते हुए याद करेंगे तो मैं आपका आभारी रहूंगा. मैं लाल टीशर्ट पहनकर आया था और अपनी काली कार से वापस जा रहा हूं. मेरा लैपटाप मेरा साथ दे रहा है.

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  7. @ बी एस पाबला


    हम इसे ही आपकी उपस्थित मान रहे हैं।
    जब उत्‍तर भारत आप आयेंगे तब आपको सभी प्रश्‍नों के उत्‍तर स्‍मरण करके आने होंगे तो अभी से जुट जाइये स्‍मरणप्रक्रिया में।

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  8. अविनाश भाई,
    मैंने अपनी पोस्ट में ही लिख दिया था कि आपने मेरी सभी शंकाओं का निवारण कर दिया है, इसलिए मैं आऊंगा ज़रूर...ऐसा करना इसलिए ज़रूरी था क्योंकि ये ब्लॉगर्स मीट में आने वाले हर ब्लॉगर के सम्मान से जुड़ा मामला था...बेनामियों का ये कहना कि हम ब्लॉगर्स मीट में मौजूद रहेंगे और कोई हमें पहचान भी नहीं पाएगा, ये तो सब को शक के कटघरे में खड़ा कर देता...

    जय हिंद...

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  9. @पाबला जी,
    तुसी मल्टीस्टारर फिल्म विच नहीं सिर्फ सोलो लीड फिल्म करण ते यकीन रखदे हो...होए क्यों न भई तुसी ब्लॉगवुड दे शाहरूख खान तो घट थोड़े ही ओ...तुसी जदो वी आओगे, साणू ते खिदमत विच खड़ा पाओगे ही...हूण साणू अगले महीने दा इंतज़ार वे...

    जय हिंद...

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  10. @कुमार जलजला
    मेरा तुमसे कोई व्यक्तिगत बैर नहीं है...बात सिर्फ उसूलों की है...तुम्हारी टिप्पणियों से साफ़ है कि कुछ भी हो तुम्हारे लेखन में प्रवाह है, बांधने की ताकत है...फिर तुम क्यों पहचान छुपा कर ये सब कर रहे हो...सबसे पहले अपना ब्लॉग बनाओ और वहां से अपनी बातें सबके सामने रखो...फिर कोई वजह नहीं कि तुम पर कोई ऊंगली उठाए...लेकिन पहचान छुपा कर टिप्पणियों के माध्यम से भ्रम फैला देना, मेरी नज़र में सर्वथा अनुचित है...ये तुम भी सही मानोगे कि किसी दूसरे पर तुम्हारी वजह से आंच न आए...फिर क्यों ये कहकर कि मैं मीट मे रहूंगा और कोई मुझे पहचान भी नहीं पाएगा...इससे तो मीट में पहुंचने वाले हर शख्स को परेशानी होती अलग और विवाद को न्यौता मिल जाता अलग...तुम अपना ब्लॉग बनाओ, फिर सबसे पहले तुम्हारा स्वागत करने वाला मैं हूंगा...

    जय हिंद...

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  11. बावले गांव में ऊंट आया.
    गांव=ब्लॉगजगत
    ऊंट=कुमार जलजला
    बावले=पता पड़ जाए तो बताना

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