(उपदेश सक्सेना)
मैंने कल जब रेलवे को लेकर अपनी पोस्ट में टिप्पणी की थी तब मुझे कतई इल्म नहीं था कि अगले दिन ही नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हादसा हो जाएगा. रेलवे की मनमर्ज़ी और स्टेशन के प्रबंधकों की प्लेटफार्म पर अपना धंधा संचालित करने वालों से मिलीभगत के चलते अक्सर एन समय पर ट्रेनों के प्लेटफार्म बदले जाते रहते हैं. इस गोरखधंधे के धंधेबाज़ अपनी मर्ज़ी से स्टेशन के प्रबंधकों पर “लक्ष्मी” का दवाब डाल कर अपना धंधा तो चोखा कर लेते हैं मगर परेशान उन हज़ारों यात्रियों को होना पड़ता है जिनके हाथ इस ‘व्यापार’ में कुछ नहीं लगता, उलटे आज जैसे हादसे में जान अलग गंवानी पड़ती है.
दरअसल अब प्लेटफार्म पर अपना धंधा संचालित करने वालों का एक सिंडिकेट काम करने लगा है, यह लोग उन यात्री ट्रेनों को जिनमें यात्रियों की भीड़ ज्यादा होती है, ऐसे प्लेटफार्मों पर लगवाते हैं जहां उनका स्टाल होता है. इसके एवज़ में ये सौदागर सम्बंधित अफसरों को मोटी राशि का नज़राना भी पेश करते हैं. एन सरकार की नाक के नीचे दिल्ली के तमाम स्टेशनों पर यह धंधा खूब फल-फूल रहा है.ज्यादा यात्रियों के कारण इनकी आमदनी भी बढ़ जाती है.
इधर रेल मंत्री ममता बैनर्जी ने इस हादसे पर एक बार फिर गैर जिम्मेदाराना बयान दिया है, ममता ने हादसे पर ज़रा भी ममता न दिखाते हुए कहा है कि ऐसे हादसे रोके नहीं जा सकते. उनका यह भी कहना है कि लोग खुद हादसों के जिम्मेदार हैं. कभी सड़क पर दुर्घनाग्रस्त राही को अपनी कार रोककर उसकी तीमारदारी करने वाली ममता अपने विभाग की इस गैर जिम्मेदारी पर जो बयान दे रही हैं वह न तो उनके नाम के अनुकूल है न ही उनसे ऐसी उम्मीद ही की जा सकती थी. बंगाल नगरनिगम चुनाव और विधानसभा से ज़्यादा महत्वपूर्ण है वर्तमान ज़िम्मेदारी, आखिर हज़ारों यात्रियों की जान रोज़ाना आपके ही हाथों में रहती है.
ममता अब तो नाम सार्थक करो...
Posted on by उपदेश सक्सेना in
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दुखद और हृदय विदारक घटना..........
जवाब देंहटाएंbilkul naya,maine to kabhi socha bhi nahi ki aisa bhi hota hai.vn bhati
जवाब देंहटाएंiski to jaankaari hi nahi thi...bhaiya aaj kal to ek bhi jagah nahi chhod rahe beimaani ki...
जवाब देंहटाएंउपदेश जी ये नेता हैं
जवाब देंहटाएंइंसानियत छोड़नी पड़ती हैं
तब नेताई आती है
कमाने न दें तो
अगली बार मौका भी नहीं मिलेगा
इसलिए सौदा करते हैं
सौदेबाज है ये।