जब दिल्ली में बिजली दौड़ जाती है तो हाथ के पंखे की सुहानी याद आती है (अविनाश वाचस्पति)
Posted on by अविनाश वाचस्पति in
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अविनाश वाचस्पति,
गर्मी का प्रकोप,
दिल्ली की बिजली
दिल्ली में कितनी बिजली जाती है
जरूर कोई खिड़की खुली रह जाती है
या खुला रह जाता है डोर
जिससे बिजली जाती है दौड़
अब से जो मकान बनायेंगे
खिड़की -दरवाजे नहीं लगायेंगे
हाथ के पंखे नहीं चलाने पड़ेंगे
लगता है इस बार तो
हाथ के पंखे खूब बिकेंगे
इश्तहार है हाथ के पंखों का
अपने आर्डर बुक कराएं
यह न हो कि सारे बुक हो जाएं
आपको पंखे न मिल पायें
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गर्मी का प्रकोप,
दिल्ली की बिजली
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अगर दुखने लगा हाथ
जवाब देंहटाएंतो पंखे हिलाने वाले भी
मिलेंगे साथ
बेराजगारी कम करने में
कुछ आपका भी होगा योगदान
पंखे हिलाने वालों को भी
मिल जाएगा कुछ काम
अरे भाई । क्यों करते हो चिंता
बिजली के बिल से
आधे में ही कर देंगे काम
वाह अविनाश सर बहुत खूब व्यंग्य लेकिन...
गुस्ताखी माफ ।।
बहुत सुंदर कविता, ओर उस से भी सुंदर यह मेम जो अपने आप को हाथ के पंखे से हवा कर रही है, कुछ कुछ जा्नी पहचानी सी लग रही है...:)
जवाब देंहटाएंसही बात है जी...
जवाब देंहटाएंआज कल तो हाथ के पंखे की बहुत याद आती है जब आधी रात को बिजली जाती है...
पंखी झलते झलते जब झपकी आती है...
हाथ की पंखी अधंरे मे हाथ से छूट जाती है..
पंखी को ढूंढने के चक्कर मे नींद रूठ जाती है..
अब क्या करे कोई...
बिजली जो जलती ही नही ।
जवाब देंहटाएंऐसे में तो ये पंखा ही आयेगा काम ।
उफ इस गरमी में कुछ तो मिला आराम।
हाय राम !
आपका यह व्यसायिक रूप (माडल के रूप मे, चित्र में) पहली बार देखा. भला लगा, इस व्यवसाय में कब आये आप.
जवाब देंहटाएंकरें भी तो क्या आदमी,
जवाब देंहटाएंहाथ के पंखे ही तो साथ रह जाते हैं.
आज कल यही हाल है...चाचा जी
हे भगवान, लेकिन ये कैसा पंखा है जो चीनी हथियार सा लग रहा है :)
जवाब देंहटाएंआप दिल्ली को रो रहे हैं
जवाब देंहटाएंकहीं कानपुर आ जाएँ
तो ये भूल जी जाएँ
कि जिसका हम बिल भरते हैं
वो मीटर कब चल जाता है
बिल हजारों में आ जाता है
हम तो दिन में ऑफिस और
रात में पति पर ,
पंखा झलने का काम करते हैं (क्योंकि गर्मी में हमको ही नीद नहीं आती है)
फिर भी ये तुर्रा कि--
तुम हवा भी नहीं कर सकती हो
अब बताये इससे तो दिल्ली बेहतर है
सब पंखा तो अपने से झल लेते हैं
यहाँ तो केसा को गाली देकर
सब उठ कर छत पर चल देते हैं.
गर्मी आते ही आपने चेतावनी जारी कर दी !भगवान् न करे आपकी भविष्यवाणी सच हो जाये !शुभ शुभ बोलो भाई जी !
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