समयचक्र:''पर प्रकाशित इस आलेख में जो बात नहीं बताई गई थी वो थी जबलपुर में अदा जी यानी स्वपन मंजूषा जी की उपस्थिति उनका आगमन ठीक दिनांक 31 मार्च को रात्रि 12 :00 बजे डुमना हवाई-अड्डे पर चार्टर प्लेन से हुआ. जहां भाई महेंद्र मिश्र जी एयर पोर्ट पर उनको लेने गए थे वहीं सर्र से यूनिवर्सिटी के पीछे वाली पहाड़ियों की तराई में एक चमकीली सी वस्तु उतरती दिखाई दी . मिश्र जी समझ गए कि समीर लाल पधार चुके हैं सभी आगंतुकों को ''मानव-घसीट-त्रिचक्र-वाहन'' से शहर लाया गया . इधर मै और डूबे जी रेलवे स्टेशन पर ठीक सवा नौ बजे से रायपुर से आने वाली ट्रेन का इंतज़ार कर रहे थे जिससे आने वाले थे ललित शर्मा और पाबला जी गाडी ने ठीक 12 :00 बजे रात प्लेट फ़ार्म पर लगी . उधर भाई महफूज़ ने पहले इंदौर से आई ट्रेन से उतरे ताऊ और कुलवंत का लगभग अपहरण कर लिया. कानपुर वाली सवारियां आ न सकीं . जिसमे बैठे थे अनूप महाराज वे कटनी रेलवे स्टेशन पर उतर गए थे. फोन पर ज्ञात हुआ कि उन्हौने सह यात्री से पूछा : भाई जबलपुर आ गया..?
सहयात्री बोला-''साहब आ ही गया समझो ''
अनूप महाराज:-''फेक्ट्री वाला न ''
सहयात्री:-हाँ,फेक्ट्रीया है यहाँ
इत्ता सुनते ही अनूप जी उतर गए. गाडी निकालने पर जब वे बाहर पहुंचे तो उन्हौने पलट के देखा तो समझ में आया कि यह तो ''चूना-फेक्ट्री'' वाला शहर कटनी है - जबलपुर तो दूर है. फिर वे अल्लसुबह जबलपुर पहुंचे , इस सम्बन्ध में खरीले बवाल ने ख़बर देने के लिए फोन किया मैंने फोन उठाया भी बात कर ही रहा था बवाल से कि श्रीमती बिल्लोरे ने डपटते हुए जगाया कि ''सुबह के दस बज गए अभी तक उठे नहीं ऊपर से नीद में भी बर्रा रहे हो डाक्टर-ज्वैल को दिखाती हूँ आज तुमको और मेरा सपना टूटा नींद खुल गई ''
आगे का सपना इधर है देशनामा पर
जबलपुर में अदा जी यानी स्वपन मंजूषा जी की उपस्थिति
Posted on by Girish Kumar Billore in
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ब्लॉगर,
मिलते रहेंगे
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अरे भाई आप १ ही अप्रेल को बता देते ....आप तो बिग ब्रदर दो तारिख को बता रहे है हहह . नीचे है जी . आभार
जवाब देंहटाएंकल्पना जगत की उड़ान ! ब्लॉग है ही ऐसी चीज , पहली अप्रैल गुजर चुकी है अब धरती पर सधे क़दमों चलिए | सपनों में करली गोष्ठी !
जवाब देंहटाएंअरे भाई आप १ ही अप्रेल को बता देते .... आभार
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंभाइ मिश्रा जी
जवाब देंहटाएंअप्रेल का फ़ूल एक को खिले या दो को फ़ूल तो है
शारदा जी खुशी और मूर्खता के लिये कोई समय तिथि तय करना ठीक कहां
संजय भाई द्र यायद दुरुस्त आयद
आप दो अप्रेल को बता रहे हो और हम 3 अप्रेल को पढ़ रहे हैं। अब तक ये सारे ही वापस लेण्ड कर चुके होंगे। हमें तो ऐसा लग रहा है कि जबलपुर ना हुआ हरिद्वार हो गया, सारे ही वहाँ गंगा में डुबकी लगा आते हैं।
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