उमाश्री के मसले के चलते राज्यों के भाजपाध्यक्षों की ताजपोशी में हो रहा विलंब

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  • उमाश्री के लिए गडकरी की पेशानी पर छलकता पसीना
    घर वापसी के लिए भाजपा के सुप्रीम कमाण्डर को लगाना पड रहा है एडी चोटी का जोर
    उमाश्री के मसले के चलते राज्यों के भाजपाध्यक्षों की ताजपोशी में हो रहा विलंब
    भारती को रोकने बुने जा रहे ताने बाने
    (लिमटी खरे)

    नई दिल्ली 14 अप्रेल। मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमन्त्री रहीं उमाश्री भारती को भाजपा में वापस लेने के लिए भाजपाध्यक्ष नितिन गडकरी के हाथ पांव फूलने लगे हैं। इस मसले के उलझने के कारण भाजपाध्यक्ष द्वारा अनेक बडे राज्यों के अध्यक्षों के नामों को अन्तिम रूप नहीं दे पा रहे हैं। उमाश्री की घर वापसी को लेकर भाजपा का शीर्ष नेतृत्व दो खेमों में बंटा साफ दिखाई पड रहा है।

    भाजपा का एक धडा उन्हें वापस पार्टी में लाकर उनका उपयोग उत्तर प्रदेश में करने की वकालत कर रहा है तो दूसरा उनकी वापसी से पार्टी को होने वाले नुकसान की बात कहकर अपनी टांग फसाए हुए है। उमाश्री के विरोध करने वाले लोगों में मध्य प्रदेश के मुख्यमन्त्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश भाजपाध्यक्ष नरेन्द्र तोमर, पूर्व मुख्यमन्त्री बाबू लाल गौर के नाम प्रमुखता से सामने आ रहे हैं। वहीं दूसरी ओर संघ और एल.के.आडवाणी की कीर्तन मण्डली चाह रही है कि उमाश्री भारती को वापस भाजपा में लाकर उनका उपयोग उत्तर प्रदेश में पार्टी के गिरते जनाधार को समेटने के लिए किया जाए।

    हालात देखकर लगने लगा है कि भाजपा के नए निजाम नितिन गडकरी अब संघ और आडवाणी की जुगलबन्दी तथा भाजपा के दूसरे कद्दावर नेताओं के बीच दो पाटों में फंसकर रह गए हैं। वे चाहकर भी न तो अपनी टीम के ही लोगों को नाखुश करने का साहस जुटा पा रहे हैं और न ही संघ या आडवाणी से पंगा लेने की बात सोच पा रहे हैं। उधर उमाश्री के विरोधियों ने ``वोट फार कैश`` के समय उनके द्वारा कथित तौर पर जारी की गई एक सीडी को भी उछाला जा रहा है।

    इसी उहापोह के चलते मध्य प्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश जैसे बडे सूबों के प्रदेशाध्यक्ष के नाम अभी भी पोटली में ही बन्द हैं। गडकरी के करीबी सूत्रों के अनुसार इन दिनों गडकरी के गले की फांस बनकर रह गया है उमाश्री भारती की घर वापसी का मुद्दा। सूत्रों ने संकेत दिए कि गोविन्दाचार्य और उमाश्री भारती के द्वारा अपनी अपनी बनाई पार्टी से त्यागपत्र इसी शर्त पर दिया गया था, कि पार्टी के शीर्ष नेता एकराय होकर उनकी घर वापसी के मार्ग प्रशस्त करेंगे। वस्तुत: एसा हुआ नहीं। जैसे ही यह खबर फिजां में फैली कि उमाश्री भारती को भाजपा में वापस लिया जा रहा है, वैसे ही उनके विरोधियों ने रायता फैलाना आरम्भ कर दिया। स्थितियों को भांपते हुए गोविन्दाचार्य ने तो गडकरी पर निशाना साधते हुए अपने आक्रमक तेवरों से भाजपा और संघ नेतृत्व को अपनी मंशा जता दी, किन्तु उमाश्री अभी भी आस में बैठी हुईं हैं कि उनकी घर वापसी के मार्ग जल्द ही प्रशस्त होने वाले हैं।

    उमाश्री के करीबी सूत्रों का कहना है कि उमाश्री का गुस्सा इन दिनों सातवें आसमान पर है, वे भाजपा के शीर्ष नेताओं की वादाखिलाफी से खासी नाराज लग रहीं हैं। सूत्रों ने कहा कि अगर जल्द ही सब कुछ ठीक ठाक नहीं हुआ तो भाजपा के शीर्ष नेताओं को उमाश्री के कोप का भाजन बनना पड सकता है। उधर कहा जा रहा है कि उमा विरोधी नेताओं ने नई रणनीति अपनाकर भाजपा के सुप्रीम कमाण्डर नितिन गडकरी से कहा है कि वे फिलहाल वेट एण्ड वाच की नीति अपनाएं ताकि उमाश्री की सहन शक्ति की भी परीक्षा हो सके। उनके विरोधी जानते हैं कि शार्ट टेंपर्ड उमाश्री जल्द ही फट पडेंगी और उनका काम आसान हो जाएगा।
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