आई आई टी स्वर्ण जयंती वर्ष

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  • रेखा श्रीवास्तव
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  • आई आई टी कानपुर अपने स्वर्ण जयंती वर्ष में  ऐसे शिलालेख तैयार किया  है जिससे कि आने वाले समय में अगर ये दुनिया किसी तरह से रसातल में जाती है या फिर कभी किसी प्राकृतिक आपदा का शिकार हो जाती है तब भी इसका इतिहास किसी न किसी रूप में सदैव जीवित रहे.  इसके इतिहास को लिपिबद्ध कर हस्ताक्षरों सहित ऐसे धातु के एक कैप्सूल में सुरक्षित करके जमीन के अन्दर दबा दिया गया है.
                                 

     टाइम कैप्सूल २०१० 

     चित्र उस टाइम कैप्सूल २०१० का है, जिसमें पिछले ५० वर्षों में इस संस्थान में हुई प्रगति , शोध, और उपलब्धियों को अंकित कर डाला गया है. इससे जुडी हस्तियों के बारे में और १९५९ में १४० छात्रों के साथ मात्र अभियांत्रिकी एवं तकनीकी विधा को लेकर आरम्भ होने के समय से लेकर आज इन विधायों की एक लम्बी श्रृंखला  जिसमें जैवकीय से जुड़ी सभी विज्ञान , प्रबंधन, एक विशाल संस्थान में परिवर्तित रूप का वर्णन किया गया .

                         आज ६ मार्च  २०१० को महामहिम प्रतिभा देवीसिंह पाटिल जी द्वारा इसको पृथ्वी के अन्दर स्थापित किया जाएगा और उस स्थल को शिलालेख द्वारा इंगित किया जाएगा.  जैसे हम आज पाषाण युग, सिन्धु घाटी की सभ्यता के अवशेषों को देख कर एक प्राचीन काल के इतिहास का अनुमान लगा लेते हैं ठीक उसी तरह हजारों साल के बाद भी यदि कभी इस पृथ्वी का स्वरूप बदला तब भी ये इतिहास जीवित रहे इस परिकल्पना को सामने रखकर इसको तैयार  किया गया है. 

                   नैनो सेटेलाईट "जुगनू"

     आज का दिन इस संस्थान के लिए और भी महत्वपूर्ण इस लिए है की यहाँ के प्रतिभाशाली इंजीनियरों के द्वारा तैयार की गयी 'जुगनू' नैनो सैटेलाईट  इसरो के प्रतिनिधि को भेंट की जायेगी और इसका प्रक्षेपण इसरो के द्वारा किया जाएगा. ये सबसे कम वजन की सैटेलाईट है जिसको अन्तरिक्ष में स्थापित किया जाएगा.
     महामहिम प्रतिभा देवी सिंह पाटिल जी ने इस को इस तरह से सम्मानित किया - ' कानपुर आई आई टी के द्वारा दी गयी ये नैनो सैटेलाईट ने देश को कान, आँख और नाक भी दी है.'
             आज के इस महत्वपूर्ण अवसर पर ये बताना जरूरी है कि हम सिर्फ तकनीक और अभियांत्रिकी को ही आगे नहीं ले रहे हैं बल्कि विभिन्न प्रोजेक्ट के द्वारा देश कि तमाम सामान्य और आपातकालीन सथियों से निपटने के लिए चाहे वह रेल , प्राकृतिक आपदा, प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण का क्षेत्र हो. देश के लिए महत्वपूर्ण एवं अविस्मरनीय योगदान देने के लिए सदैव ही आगे रही है और आगे भी इसी तरह से सदियों तक और भी अधिक क्षमता के साथ देश के लिए योगदान के लिए आगे रहेगी.

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