दैनिक जनसत्ता में संवाद अधूरे हैं - प्रतिभा कटियार (अविनाश वाचस्पति)
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संवाद अधूरे हैं
आपके विचार के लिए
प्रस्तुत हैं विचार
प्रतिभा कटियार के ।
जो ज्वलंत हैं
विचारणीय हैं
सर्वेक्षण से उपजे हैं
वैसे सनातन हैं
इनसे बचने के लिए
क्या किया जाए ?
बिना भावुक हुए
यथार्थ के धरातल पर
आप भी बतलायें।
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