मधुर प्रीत मन में बसा, जग से कर ले प्यार .
जीवन होता सफल है, जग बन जाये यार .
मधुर मधुर मदमानिनी, मान मुनव्वल मीत .
मंद मंद मोहक महक, मन मोहे मनमीत .
आज गुनगुना के गीत, छेड़ो दिल के तार .
दिल में घर बसा लो तुम, मुझे बना लो यार .
नन्हा मुझे न जानिये, आज भले हूं बीज .
प्रस्फुटित हो पनपूंगा, दूंगा आम लजीज .
पढ़ लिख कर सच्चा बनो, किसको है इंकार .
दुनियादारी सीख लो, जीना गर संसार .
संसारी संसारे में, रहे लिप्त संसार .
खुद भूला, भूला खुदा, भूले नहि परिवार .
फक्कड़ मस्त महान कवि, ऐसे संत कबीर .
फटकार लगाई सबको, बात सरल गंभीर .
नाम हरी का सब जपो, कहें सदा यह सेठ .
ध्यान भला कैसे लगे, खाली जिनके पेट .
सच की अर्थी ढ़ो रहा, ले कांधे पर भार .
पहुंचाने शमशान भी, मिला न कोई यार .
देश को नोचें नेता, बन चील गिद्ध काग .
बोटी बोटी खा रहे, कैसा है दुर्भाग .
लालच में है हो गया, मानव अब हैवान .
अपनों को भी लीलता, कैसा यह शैतान .
रावण रावण जो दिखे, राम करे संहार .
रावण घूमें राम बन, कलयुग बंटाधार .
मर्याद को राखकर बेच मान अभिमान .
कलयुग का है आदमी, धन का बस गुणगान .
मैं मैं मरता मर मिटा, मिट्टी मटियामेट .
मिट्टी में मिट्टी मिली, मद माया मलमेट .
छल कपट लूट झूठ सब, चलता जीवन संग .
सच पर अब जो भी चले, लगे दिखाता रंग .
कलयुग में मैं ढो़ रहा, लेकर अपनी लाश ।
सत्य रखूँ यां खुद रहूँ, खुद का किया विनाश ॥
भगवन सुख से सो रहा, असुर धरा सब भेज ।
देवों की रक्षा हुई, फंसा मनुज निस्तेज ॥
कवि कुलवंत सिंह
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भगवन सुख से सो रहा (कवि कुलवंत के दोहे)
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सच की अर्थी ढ़ो रहा, ले कांधे पर भार .
जवाब देंहटाएंपहुंचाने शमशान भी, मिला न कोई यार .
bahut hi sundar dohe hain.........prerna dete huye.
अच्छे संदेश लिये हुये हैं आपके दोहे.
जवाब देंहटाएंसच की अर्थी ढ़ो रहा, ले कांधे पर भार .
जवाब देंहटाएंपहुंचाने शमशान भी, मिला न कोई यार .
बढ़िया दोहे..वाह!
सुन्दर दोहे!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर दोहे जी.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
भाई जी! अच्छे दोहों के लिए बधाई स्वीकारें !
जवाब देंहटाएंडॉ० डंडा लखनवी
नन्हा मुझे न जानिये, आज भले हूँ बीज .
लेकिन कल मैं पनप कर, दुँगा आम लजीज..
फक्कड़ मस्त महान कवि, पहुँचे संत कबीर .
दी औषधि फटकार की, रोग मिटे गंभीर ..
हरि का जपिए नाम नित, कहें सदा यह सेठ.
ध्यान भला कैसे लगे, खाली जिनके पेट?..
नेता नोचें देश को, बनके गिद्ध अरु काग.
बोटी बोटी खा रहे, कैसा है दुर्भाग ..
लूट-झूठ, छल-कपट सब, जग-जीवन के संग .
किन्तु सत्य पर जो चले, उसका चढ़ता रंग ..
भाई जी! अच्छे दोहों के लिए बधाई स्वीकारें !
जवाब देंहटाएंडॉ० डंडा लखनवी
नन्हा मुझे न जानिये, आज भले हूँ बीज .
लेकिन कल मैं पनप कर, दुँगा आम लजीज..
फक्कड़ मस्त महान कवि, पहुँचे संत कबीर .
दी औषधि फटकार की, रोग मिटे गंभीर ..
हरि का जपिए नाम नित, कहें सदा यह सेठ.
ध्यान भला कैसे लगे, खाली जिनके पेट?..
नेता नोचें देश को, बनके गिद्ध अरु काग.
बोटी बोटी खा रहे, कैसा है दुर्भाग ..
लूट-झूठ, छल-कपट सब, जग-जीवन के संग .
किन्तु सत्य पर जो चले, उसका चढ़ता रंग ..
aap sabhi ke pyaar ke liye tahe dil se abhaari hun.. aur daanda ji aap ne jo jyan diya usake liye vishesh abhaar..
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