ज़रूरत है तो सिर्फ एक पल रुक कर सोचने की

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  • मनुदीप यदुवंशी
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  • वी - दिवस को अगर हम स्वीकार कर रहे है तो हमको पश्चिम की वो सारी बुरी परम्पराये भी माननी होंगी जिनकी
    वजह से आज पश्चिम के देश परिवार तंत्र को खो चुके हैं । प्रेम की अभिव्यक्ति गलत नही होती और नही हमारी
    संस्कृति प्रेम प्रदर्शन कोअसभ्य मानती है । पर क्या हम केवल दिन या घन्टो तो हिसाब से ही भाव प्रदर्शन करने
    चाहते हैं? मदर दिवस , फादर दिवस , फलाना दिवस ये सब क्या है ???? हम क्यूँ भूल जाते हैं की हमारी धरती ने
    पूरी दुनिया को दिया ही है । और जो कुछ हमने विश्व को सिखाया है वो सबसे बेहतर है । अगर प्रेम की पवित्रता है
    तो हम से अच्छा कोई और नही समझा सकता , और भोग को जानना है तो वो भी हम से ज्यादा कोई नही बता
    सकता है। फिर क्यूँ । हम किस कारण अपने जीवन मूल्यों को कहते जा रहे हैं? हम क्यूँ किसी विषय में अग्रसर
    नही हो सकते? औस्त्रेलिया में हो रही हिंसा क्या ये नही बताती की हम पर हर चीज़ थौपी जाती है । कभी बाज़ारवाद के
    सहारे तो कभी आधुनिक होने के बहाने । आखिर हम अपने पास रख हीरों को कब तक पत्थर समझ कर फ़ेंकते
    रहेंगे ? जिस प्रकार सैब केवल कश्मीर में ही होता है उसी तरह किसी दूसरी संस्कृती के मूल्य हमारे समाज में पैदा
    होकर सफल नही देंगे । बस ज़रूरत है तो सिर्फ एक पल रुक कर सोचने की । क्या आप के पास है वो एक पल ?

    3 टिप्‍पणियां:

    1. बहुत सुंदर ओर अति उत्तम विचार.
      धन्यवाद

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    2. कौन सोचे? सोचेगा तो करना पड़ेगा. करने के लिये जहमत उठाना पड़ेगी, और जहमत कौन उठाये.

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    3. सादगी के साथ हम, शृंगार की बातें करें।
      प्यार का दिन है सुहाना, प्यार की बातें करें।।

      सोचने को उम्र सारी ही पड़ी है सामने,
      जीत के माहौल में, क्यों हार की बातें करें।
      प्यार का दिन है सुहाना, प्यार की बातें करें।।

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    आपके आने के लिए धन्यवाद
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