डॉक्‍टरी का कोर्स करके कै कंपाउंडर बनेगा --- (डॉ. टी एस दराल)

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  • दिल्ली ब्लॉगर मिलन की झलकियाँ याद करते हुए , आइये आपको भी सुना देते हैं ये दास्ताँ ।
    बात उन दिनों की है जब मैं एम बी बी एस कर रहा था । एक दिन हरियाणा के एक गाँव चला गया, एक शादी में ।
    हलवाई की कढाई पर सब बुजुर्ग बैठे हुक्का पी रहे थे। मैंने जाकर राम राम करी।
    तो एक ताऊ बोला --राम राम भाई छोरे। आज्या , और सुना कौन सी क्लास में पढ़े सै।

    मैंने सोचा --इनको एम बी बी एस का मतलब तो क्या समझ आएगा । सो कहा --ताऊ मैं डॉक्‍टरी का कोर्स कर रहा हूँ।
    ताऊ बोला --भाई कोर्स वोर्स तै ठीक सै, पर न्यू बता , कितनी ज़मात पढ्या ।
    मैंने कहा -बस ताऊ यूँ समझ लो क‍ि बारहवीं पास कर के दाखिला लिया था।
    भाई , बस बारा ही पढ्या --अरै थोडा ए पढ्या । अरै भाई कम तै कम १४ पढ़ कै बी ए पास तै करनी चाहिए थी।
    मैंने कहा ताऊ, बस ये दाखिला मिल गया तो ---।
    ताऊ --न भाई न , मज़ा कोन्या आया , अरै बी ए पास करता तै पटवारी बनता , डी सी बनता ।
    यो डॉक्टरी का कोर्स करके के कम्‍पाउंडर बनेगा।

    10 टिप्‍पणियां:

    1. गाँव के बड़े बूढों की बात ही निराली है...मजेदार संस्मरण है..

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    2. सुंदर हास्य!
      अब तो लोग कंपाउंडरी का कोर्स कर के डाक्टर हुए जा रहे हैं।

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    3. गाँव में कलेक्‍टर पहुंच गया, एक बूढी माँ ने आशीर्वाद दिया कि बेटा भगवान तुझे पटवारी बनाए।

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    4. हा हा हा ! दिनेश जी और अजित जी , बढ़िया कमेंट्स !

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    आपके आने के लिए धन्यवाद
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