मुंबई की व्यस्तता में सब खो जाते हैं लेकिन यदि दिल में प्यार हो तो मुलाकातें होती हैं
Posted on by डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) in
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डॉ. रूपेश श्रीवास्तव
कुछ समय पहले जब बड़े भाई श्री अविनाश वाचस्पति मुंबई आए थे तब एक पत्राकार-मिलन हुआ। उस मिलन में भाई सूरज प्रकाश जैसे वरिष्ठ पत्रकारों से लेकर फ़रहीन जैसी युवा पत्रकार ने शिरकत करी थी। भाई महावीर सेमलानी जी के प्रयास से सब कुछ बेहद उत्तम रहा और दिल-दिमाग में अब तक उस मिलन की यादें ताजा हैं। वहीं भाई अविनाश वाचस्पति के साथ आए थे एक अनोखे-अनूठे बुजुर्ग चित्रकार श्री एन.डी.एडम, जो कि लोगों को देख कर चंद मिनटों में ही छवि को कागज पर उतार देते हैं। इनकी कला को देख कर सभी लोग सराह रहे थे, श्री एडम ने उस पत्रकार-मिलन में वहीं बैठे-बैठे कई लोगों के चित्र बना डाले। भाई अविनाश की इनसे मुलाकात गोवा में हुए IFFI के फिल्म समारोह में हुई और IFFI की स्मारिका में श्री एडम के बारे में प्रकाशित भी हुआ। पत्रकार मिलन की समाप्ति के बाद मैं और फ़रहीन पनवेल की राह चल पड़े लेकिन हमारा सौभाग्य था कि अविनाश भाई के साथ ही श्री एन.डी.एडम भी हमारे साथ कुर्ला तक साथ रहे। जिससे उनसे खूब बातें करने का अधिक मौका मिला, पता चला कि वे मुंबई के ही एक उपनगर विक्रोली में रहते हैं। यदाकदा फोन पर बातें होती रहीं और कल एक बार उन्हें हमारा प्यार हमारे घर पर खींच ही लाया। लोग कहते हैं कि मुंबई की व्यस्तता में सब खो जाते हैं लेकिन यदि दिल में प्यार हो तो मुलाकातें होती हैं और सुख-दुःख बांटने का रिश्ता बना रहता है।
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अच्छा है प्रेम मोहब्बत से मुलाकातें होती रहें.
जवाब देंहटाएंमेरी चाय कहां है बेचीनी वाली। प्यार, विश्वास का जज्बा सब फासले, चाहे भीड़ के हों, खत्म कर देता है जिस प्रकार इंटरनेट ने सभी प्रकार के फासले मिटा दिए हैं। बहुत अच्छा लग रहा है आप दोनों को यहां देखकर लेकिन फरहीन बिटिया कहां है, लगता है चित्र उसी ने खींचे हैं। एडम जी को प्रणाम। यह प्यार और विश्वास का जज्बा सब इंटरनेटवासियों में विकसित करना और कायम रखना है।
जवाब देंहटाएंबढिया लगी मुलाकात
जवाब देंहटाएंअच्छा लगा आप दोनों के बारे में जान कर
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया यह सब ब्लॉगर्स प्रेम भाव है...बस यही दुआ है ऐसा ही चलता रहे...
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