'गत्यात्मक ज्योतिष' के द्वारा मौसम से संबंधित भविष्यवाणियां करने के क्रम में हमारी एक नजर दूर तक फैली होती है तो दूसरी नजर नजदीक तक। एक ही व्यक्ति के द्वारा हर प्रकार के काम को करने की ये विवशता ही समझें कि हम दूरबीन का प्रयोग करते हुए हर स्थान के पत्थरों की सही माप नहीं ले पाते हैं। जिस प्रकार रास्ते में चलते वक्त हमें दूर के बडे बडे पत्थर ही दिखाई पडते हैं , पर नजदीक जाने पर छोटे छोटे पत्थर भी हमारी दृष्टि से नहीं बच पाते , बिल्कुल वैसी ही दृष्टि हम मौसम का अनुमान करने वक्त रखते हैं। यही कारण है कि मैं मौसम के बारे में एक भविष्यवाणी दो तीन महीने पहले और एक बिल्कुल निकट में करती हूं।
प्रवीण जाखड जी को जबाब देने के क्रम में 3 अक्तूबर को ही मैने मध्य दिसंबर में देश के मौसम के खराब होने की सूचना दे दी थी, जिसे 10 दिसंबर को मैने पुन: दुहराया था। पर तबतक मौसम विभाग का पूर्वानुमान आ चुका था, इसलिए दिनेशराय द्विवेदी जी को मेरी सूचना उनकी नकल लगी और उन्होने मुझे भारत के मौसम खराब होने का दो महीने बाद का डेट मांगा , जिसके लिए मैने उन्हें 3 - 4 फरवरी की तिथि दी थी। 3 फरवरी के दस दिन पहले पुन: इसकी सूचना पाठकों को देनी मैं आवश्यक समझती हूं , जिसके कारण आज मौसम के बारे में मेरा पोस्ट लिखना आवश्यक था। पर कल प्रवीण शाह जी की टिप्पणी भी मिली , जिसमें उन्होने मुझसे पूछा ...
आदरणीय संगीता जी,
यहाँ पर आपने भविष्यवाणी की है कि 6 जनवरी से ही थोडी राहत मिलनी शुरू हो जाएगी , जबकि 16 जनवरी के बाद ठंड से काफी राहत मिलेगी।
अभी तो उत्तर भारत भीषण शीत लहर से त्रस्त है...इस काफी राहत को मिलते-मिलते काफी देर नहीं हो गई ?
यहाँ पर आपने भविष्यवाणी की है कि 6 जनवरी से ही थोडी राहत मिलनी शुरू हो जाएगी , जबकि 16 जनवरी के बाद ठंड से काफी राहत मिलेगी।
अभी तो उत्तर भारत भीषण शीत लहर से त्रस्त है...इस काफी राहत को मिलते-मिलते काफी देर नहीं हो गई ?
उनको भी मैने लिखा कि कल के पोस्ट में आपको इसका जबाब मिल जाएगा , इसलिए आज पोस्ट लिखना अधिक आवश्यक था। दरअसल जाडे के इस मौसम में मौसम खराब रहने वाली जो बडी ग्रहीय बाधा थी , वह 16 दिसंबर तक ही थी , इसलिए मैने उसकी चर्चा की थी और उसके बाद बहुत स्थानों पर मौसम में सुधार होता देखा गया। पर 18 जनवरी से 22 जनवरी तक मौसम को बाधित करने वाली एक छोटी बाधा पुन: आकर उपस्थित हो गयी , जिसके कारण पुन: मौसम में गडबडी आयी , जिसपर मेरा ध्यान पहले नहीं जा सका। इस दृष्टि से 23 जनवरी से 26 जनवरी तक का मौसम थोडा सुधरा हुआ रहेगा।
अब चलती हूं मौसम से संबंधित अगली भविष्यवाणी की ओर, 3-4 फरवरी के जिस योग के बारे में चर्चा मैने 9 दिसंबर 2009 को ही कर रखा है , अब वह बहुत निकट है और इसका प्रभाव मुझे 27 जनवरी से ही पडता दिखाई दे रहा है , जो 3-4 फरवरी 2010 तक अपनी चरम सीमा पर रहेगा। इस कारण अब 6 या 7 फरवरी के बाद ही मौसम में कुछ बदलाव आने की संभावना दिखती है। हमेशा की तरह इस ग्रह योग का प्रभाव पूरे विश्व में जहां तहां तहां पडता ही है , उत्तर भारत के अधिकांश राज्यों को भी मैं इससे प्रभावित होते देखा करती हूं। इसलिए दो तीन दिनों में भले ही ठंड में थोडी कमी दिखाई दे , पर 4 फरवरी तक उत्तर भारत को स्थायी तौर पर राहत मिलने की बात मुझे नहीं दिखाई देती। शायद यही कारण है प्रवीण शाह जी कि इस काफी राहत को मिलते-मिलते काफी देर होती जा रही है !!
अब तो शीत से सावधान रहना पड़ेगा
जवाब देंहटाएंतभी स्वास्थ्य अनुकूल रहेगा
संगीता जी का लिखा हुआ
गीता के माफिक बिल्कुल सच होता है
मुझे तो पूरा विश्वास है।
मेरे हिसाब से तो मौसम में २६ जनवरी के से ही स्पष्ट चमत्कारिक बदलाव आना शुरू हो जायेगा -खूब सूरज की रोशनी मिलेगी -ठंडक काफूर हो जायेगी -४ परवरी तक तो मौसम पूरी तरह सामान्य हो जायेगा ! २७-३० के बीच थोड़ी वर्षा के भी योग हैं !
जवाब देंहटाएंअब देखना है संगीता जी की भविष्यवाणी सच होती है या मेरी -मेथोदोलोजी दोनों की एक है आगमनात्मक ! मैं निर्गमनात्मक का अल्पग्य हूँ मगर इस बार रिस्क ले रहा हूँ !
यह भी सही -वह भी सही.
जवाब देंहटाएंबहुत गई थोड़ी बची...
जवाब देंहटाएंवह भी कट ही जायेगी!
चलिये देखे संगीता जी की भविष्या बाणी सही रहती है या मोसम विभाग से ड्रां मिश्रा जी की, बस हम भी पहुच रहे है फ़ेसले की तारीख तक
जवाब देंहटाएंआप ठीक ही कहते हैं।
जवाब देंहटाएंप्रतिदिन 3 लीगल..... आते हैं।
भाई नुक्कड़ वालों मेरी भविष्यवाणी सच हो गयी -खील बताशे बटेगें क्या ?
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