जितने थे पधारे और हुए
शामिल फिर जंगल से
बच कर लिए निकल।
पर ब्लॉगिंग और हिन्दी
नहीं बचेगी अब सदा
छाई रहेगी बन कर बिन्दी
मुंबई के भाल पर सर्वदा।
इनमें एक का संदेश
मोबाइल के जरिए सीधे
मुंबई ब्लॉ्गर मिलन में
सुना गया।
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ब्लॉगवाणी पर पहुंचें ब्लॉग खोलें पढ़ें और फिर पहचानें। यही है हिंट जो आपको कराएगा हिट।
कमल शर्मा जी, अमिताभ श्रीवास्तव जी, अनीता कुमार जी
जवाब देंहटाएंकमल शर्मा जी, अमिताभ श्रीवास्तव जी, अनीता कुमार जी
जवाब देंहटाएंहमने भी पहचान लिया जी। अमिताभ जी, कमल जी और अनीता जी।
जवाब देंहटाएंसबके जवाब गलत हैं। कृपया पुन: प्रयास करें
जवाब देंहटाएंहा हा ! सबके जवाब गलत हैं? कौन हैं ये लोग आप ही बताइए
जवाब देंहटाएं"पहचान कौन?" को बुलाना पड़ेगा
जवाब देंहटाएंयह स्थान मुंबई का कुर्ला पूर्व में नेहरू नगर में अभ्युदय बैंक के सामने का है। इसमें जो तथ्य गौरतलब हैं वो ये हैं। ध्यान से मन मानस को मथिएगा और बतलाइयेगा कि क्या आपके जवाब सही और मेरा गलत है। वैसे एक बात सोचिए कि हम सिर्फ नाम ही क्यों पहचानते हैं। इसी नाम पहचानने की प्रक्रिया चलते हम बाकी पहचान को कोई अहमियत नहीं देते हैं।
जवाब देंहटाएंयह मिलन साधारण नहीं है। यह चित्र उसी ने अपने मोबाइल कैमरे से लिया है। जो शब्द सींच रहा है।
इन तीनों में से एक भी यहां नहीं रहता है।
इनमें से जिन्हें आप कमल शर्मा बतला रहे हैं वे लगभग डेढ़ से दो घंटे का सफर करके यहां पहुंचे हैं।
दूसरे सज्जन जिन्हें बतलाया गया है वे अमिताभ श्रीवास्तव औरंगाबाद से सफर करके यहां पहुंचे हैं।
तीसरी अनिता कुमारी वे काफी दूर से आई हैं।
मुंबई में यह एक ऐसी अप्रत्याशित घटना है। जिसे लोग साधारण मान रहे हैं। इन तीनों का मेरे से कोई व्यावसायिक कार्य नहीं है जबकि मायानगरी मुंबई ऐसे रिश्तों पर परवान चढ़ी बतलाई जाती है।
आज आप इस मिथक को मन से बदल दीजिए कि
यहां किसी के पास, किसी के लिए, बिना लाभ के समय नहीं है।
यह पुरातन के वापिस लौटने की जीवंत मिसाल है।
अब मान भी लीजिए कि हिन्दी ब्लॉगिंग के जरिए इंसानियत मुंबई में हुई मालामाल है।
क्या अब भी आपको लगता है कि दिए गए उत्तर सही थे। यदि नहीं तो अपनी पहचानने की प्रक्रिया का अब पुनरीक्षण करने का समय आ गया है।