भारत में दिल्ली से महज 5 घंटे की हवाई दूरी पर है मलेशिया. जबकि अंडमान निकोबार से तो हवाई दूरी केवल आधे घंटे की है. इसके बावजूद अपने इस लोकतांत्रिक पड़ोसी देश के बारे में शायद हम बहुत कम जानते हैं.
भारत से 10 साल बाद स्वतंत्रता प्राप्ति के बावजूद इस देश ने जो प्रगति की है उसने इसे लगभग विकसित देशों की श्रेणी में ला खड़ा किया है. यहां तामिलभाषी भी प्रयाप्त संख्या में हैं. दक्षिण चीन सागर इसे पूर्व व पश्चिम मलेशिया में बांटता है. राजधानी कुआलालंपूर, पश्चिम मलेशिया में है जबकि सरकार पास ही के पुत्रजाया से चलाई जाती है.
यहां के लोग खुशमिजाज हैं व अंग्रेजी आराम से समझते है. भारतीयों को यहां अपनापन महसूस होता है. यहां महिलाएं समाज के हर क्षेत्र में सक्रिय हैं
मलेशिया में सड़कें खुली-खुली हैं |
कुआलालंपूर में शांग्रीला होटल |
होटल के कमरे में सेफ व प्रेस भी उपलब्ध थे. स्नानघर में टी.वी. की आवाज के लिए स्पीकर तो था ही, वाल्यूम कंट्रोल भी था, और अगर कोई आपको फोन करे तो हैंडसैट उठाते ही टी.वी. की आवाज खुद बंद हो जाती थी. इस 28 मंजिला होटल की लिफ़्ट के बटनों पर ब्रेल में भी खुदाई की गई थी. |
शापिंग माल्स का शहर है कुआलालंपूर, इसे वहां के लोग केल व के एल भी पुकारते हैं |
होटल के पास ही था विश्वविख्यात 88 मंजिला पैट्रानस टावर. यहां भी टोल-प्लाज़ा हैं. और एक मशहूर पुल. |
पुत्रजाया में अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन सभागार व उसके सामने का दृश्य. पुत्रजाया में सड़क के दोनों तरफ सरकारी कार्यालय. |
मलेशिया की यात्रा मेरी यादगार यात्राओं में जुड़ गई है.
-काजल कुमार
काजल जी इस यात्रा के लिए बहुत बहुत बधाई |
जवाब देंहटाएंसुन्दर यात्रा के लिये बधाई
जवाब देंहटाएंसुन्दर चित्रों से सजा यात्रा संस्मरण बढ़िया है।
जवाब देंहटाएंबधाई!
यात्रा संसमरण बढिया है,बधाई मलेशिया घूम आने की।
जवाब देंहटाएंaapki yeh yatra sansmaran bahut achcha laga ......aur bahut kuch jaanne ko bhi mila.......
जवाब देंहटाएंयात्रा के लिए बधाई!
जवाब देंहटाएंvaah ji... ham to airport tak hi pahunch paye..
जवाब देंहटाएंबढ़िया यात्रा संस्मरण फोटो भी जोरदार है ..
जवाब देंहटाएंहमारी भी बधाई ले लें. पुत्रजया उनकी राजधानी है.आपको नहीं लगा की यहतो कोई भारतीय नाम है. हम मलेशियाई लोगों को नमन करते हैं जिन्होंने अपनी संस्कृति को विस्मृत नहीं किया
जवाब देंहटाएंलो जी हम भी आपके साथ ही घूम आए। ऐसा ही खुशनुमा अहसास हो रहा है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर यात्रा विवरण, अति सुंदर चित्र. धन्यवाद
जवाब देंहटाएंयादगार यात्रा के लिए बहुत बहुत बधाई |
जवाब देंहटाएंआप सभी का आभार.
जवाब देंहटाएंआदरणीय सुब्रामनियन जी, मलय भाषा को वे 'भाषा' कहते हैं जिसमें बहुत से संस्कृतनिष्ठ शब्द हैं. उन्हें यह जानकर आशचर्य हुआ कि हम अपने PM को हिंदी में प्रधानमंत्री कहते हैं क्योंकि मलय में वे भी अपने PM को प्रधानमंत्री ही कहते हैं अलबत्ता वे इसे लिखते PERDAN MENTARI हैं व उच्चारित भी कुछ यूं ही करते हैं.
राजधानी तो आज भी कुआलालंपूर ही है हां, seat of governance पुत्रजाया ले जाई गई है, क्योंकि केल में भीड़ अधिक है. कालांतर में सरकार की, सभी देशों की राजदूतावासों को यहीं बसाने की योजना है. पुत्रजाया, हवाई अड्डे व केल के मध्य लगभग 35 किमी. की दूरी पर स्थित है.
क्या बात है
जवाब देंहटाएंक्या नज़ारा है
वाह !
बहुत मुबारक आपको ये हसीन यात्रा !
बहुत सुदर चित्र और वर्णन के लिए धन्यवाद .. आपकी इस अविस्मरणीय यात्रा के लिए आपको बधाई !!
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छा लगा आप की इस यात्रा का विवरण पढ़ कर.चित्र सभी बहुत अच्छे हैं.
जवाब देंहटाएं'लिफ़्ट के बटनों पर ब्रेल में भी खुदाई 'का भी होना नया लगा--क्योंकि अभी तक ऐसा प्रयोग अन्य जगह नहीं देखा.नयी जानकारी मिली.ऐसा सभी जगह होना चाहिये.
वाह, जानकारी अच्छी लगी।
जवाब देंहटाएंगाड़ी में आपकी फोटो भी देखने को मिली।
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