वॉइस ऑफ इंडिया की तुलना पिछले साल जनवरी में आए देश के सबसे बड़े IPO से की जा सकती है। कड़ी - दर - कड़ी दोनों की तुलना करते हुए बताता हूं। जनवरी 2008 में आए देश के सबसे बड़े IPO ने इतनी धूम मचाई कि चाय की ठियों पर भी इसकी चर्चा होती थी। इसी तरह मीडिया जगत में वॉइस ऑफ इंडिया का हल्ला था। जिन्हें शेयर बाजार की ABCD नहीं आती थी, दलाल पथ के नाम से वो डरते थे और यहां पैसा लगाने को जुआ समझते थे वो भी सबसे बड़े पब्लिक इश्यू की रोशनी में नहाने को तैयार हो गए। इसमें पैसा लगाने के लिए लोगों ने अपना सुरक्षित निवेश भी दांव पर लगा दिया, कईयों ने तो कर्ज लेकर किस्मत आजमाई। इसी तरह ऐसे कई लोग जिन्हें इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की बुनियादी जानकारी तक नहीं थी VOI से जुड़े। कई स्थापित पत्रकारों की आंखें भी VOI की चकाचौंध में डबडबा गईं। मार्केट कैपिटल का बड़ा हिस्सा सबसे बड़ा आईपीओ चूस गया, तो VOI में भी लांचिंग से पहले ही अरबों रुपए झोंक दिए गए। READ MORE....
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