दिल्ली पुस्तक मेले में पप्पू (अविनाश वाचस्पति)
Posted on by अविनाश वाचस्पति in
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पप्पू,
शादीशुदा
दिल्ली पुस्तक मेले में
कल घूम रहा था पप्पू
एक प्रख्यात प्रकाशक के
स्टॉल पर एक विक्रेता ने
पप्पू को पहचान लिया
और बोला
यह पुस्तक ले जाइए
एक बार पढ़ना शुरू करेंगे
तो दिन का चैन और
रातों की नींद उड़ जाएगी ?
पप्पू ने तुरंत दिया धन्यवाद
मुझे ऐसी किसी पुस्तक की
कोई जरूरत नहीं है महाशय
मैं शादीशुदा हूं।
अब आपको बतलाना है
विक्रेता ने पप्पू को
जो पुस्तक खरीदने की
दी थी सलाह
उसका नाम था क्या ?
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शादीशुदा
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हम क्या बतलायें आप ही शाम तक बतला देंगे पप्पू कहाँ चुप रह सकता है
जवाब देंहटाएंनाम बताने लायक ही नहीं है. क्योंकि नाम बता देंगे तो सभी लोग जान जाएंगे और सबकी नींद उड़ जाएगी.
जवाब देंहटाएंबड़ा ही बेहूदा प्रकाशक रहा होगा जो पप्पू को पहचानने के बाद भी किताब बेचने की कोशिश कर रहा था
जवाब देंहटाएं"मै, मेरी शादी और साहित्य"
जवाब देंहटाएं--अविनाश वाचस्पति
बहुत सुन्दर भाव।
जवाब देंहटाएंवैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाएं, राष्ट्र को उन्नति पथ पर ले जाएं।
1. पप्पू बन गया जेंटलमैन
जवाब देंहटाएं2. सुयोग्य जीवन साथी कैसे ढूंढें
3. AVOID GIRLS SAVE PETROL
4. उपरोक्त में से कोई नहीं
:-)
aatm hatya karne ke 110 tarike.narayan narayan
जवाब देंहटाएंJaswant singh ji dwaaraa sampadit ZZZZZIIIIINNNNNNNNNNAAAAAHHHHH.
जवाब देंहटाएंjhalli-kalam-se
वाह जी वाह ये भी खूब रही। वैसे गए थे दिल्ली पुस्तक मेले और फोटो विश्व पुस्तक मेला का लगा दिया है लगता है ये सब कमाल उसी किताब का है।
जवाब देंहटाएंये भी खूब रही....
जवाब देंहटाएंवाह अविनाश जी 500 वीं पोस्ट अपने नाम लगाने का आपने अच्छा बहाना ढूंढा।
जवाब देंहटाएंबधाई।
अजी मै कैसे बता सकता हूँ (जानता हूँ)
जवाब देंहटाएंमै भी तो शादीशुदा हूँ.
नहीं नहीं नहीं
जवाब देंहटाएंकोई किताब नहीं
क्यों परेशान होते हो
क्यों मन पर बोझ ढोते हो
किसी की ताब नहीं
जो इनको किताब देदे
नाहक परेशान न होना
सोचना छोड़ दो
कि दिन की नींद और रात का चैन
कहां चला जायेगा
अब पप्पू है तो कुछ वैसा ही होगा
जवाब देंहटाएंलड़कियाँ पटाने के टिप्स...
जवाब देंहटाएं— कोई भरोसा नहीं किसी का चाहे प्रकाशक ही क्यों न हो ... "पप्पू समझ गया" ... दिल्ली से जो है ... कुछ भी हो सकता है|
जवाब देंहटाएंsabko ullu banana chahta hai pappu kyoki ullu ki rat ki need haram hoti hai. par banta koi nahi.
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