इस से सच्चा उस से झूठा...
तुम से मीठा हम से कड़वा
इनसान हुआ मतलब का यारो
जाने वो कितने रंग बदलता है
इस पल तोशा उस पल माशा
हर क्षण सैंकड़ों अक्स बदलता है
इनसान हुआ मतलब का यारो
जाने वो कितने ढंग बदलता है
इससे छीना उससे झपटा
इसको लूटा उसको काटा
इनसान हुआ पत्थर का यारो
देखो...
अब पत्थर में वो रब्ब ढूँढता है
***राजीव तनेजा***
aapne bahut achha likha hai...padh kar achha laga
जवाब देंहटाएंयार क्यो सच बोलते हो... मै तो इंसानो को ढुढने निकला तो पता चला मै हैवानो की बस्ती मै आ गया... कोई तो मुझे भी रास्ता दिखाओ...............
जवाब देंहटाएंसही पहाचाना!!
जवाब देंहटाएंसच्चे झूठे तोला माशा में फितरत बदलने वालों के बीच भी कभी कभी अच्छे सच्चे इंसान मिल ही
जवाब देंहटाएंजाते हैं..!!
वो इंसान ही क्या
जवाब देंहटाएंइंसान
जिसने मतलब साधा नहीं
।
उसने ही तो सिद्ध किया है
पत्थर में रब बसता है।
मानते सब कारनामे अपने
ये अपनी करतूतों पर हंसता है।
waah rajiv ji kyaa marke ki baat kahi hai zabardast|
जवाब देंहटाएंavinashji ne bhi tadkaa shaandaar lagaa diyaa !!
जवाब देंहटाएंतनेजाजी,
जवाब देंहटाएंआपने दर्पण दिखाया है और दर्पण कभी झूठ नहीं बोलता.........
बधाई !
इससे छीना उससे झपटा
जवाब देंहटाएंइसको लूटा उसको काटा
इनसान हुआ पत्थर का यारो देखो...
अब पत्थर में वो रब्ब ढूँढता है
राजीव तनेजा जी।
आपने सही लिखा है।
अच्छा एवं सटीक प्रहार है आज के इंसान पर ...
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