वॉयस ऑफ इंडिया के बहाने जरा सोचिए,कुछ कीजिए

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  • पुष्कर पुष्प
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  • उस समय तक वॉयस ऑफ इंडिया की सांसें लगभग उखड़ चुकी थीं, जब साईं भक्त और चैनल के सीईओ अमित सिन्हा इसे मज़बूती के तौर पर खड़े करने की बात करते नज़र आ रहे थे। मीडिया ख़बरों से जुड़ी एक वेबसाइट पर बतौर सीईओ उन्होंने कहा कि मैं साईं का भक्त हूं और मुझे उन पर पूरा भरोसा है, सब ठीक हो जाएगा। जाहिर है, उस समय अमित सिन्हा ने चैनल से जुड़े लोगों को जो भरोसा दिलाया, वो एक सीईओ की हैसियत से ज़्यादा श्रद्धा में जकड़े एक भक्त की भावुकता से ज़्यादा कुछ भी नहीं था। जिन लोगों को लगता है कि उनका जीवन श्रद्धा, विश्वास और धार्मिक मान्यताओं के आधार पर तय होते हैं, उन्हें अमित सिन्हा की बात पर भरोसा करने में रत्तीभर भी संदेह नहीं हुआ होगा और वो इस इंटरव्यू के पढ़े जाने के बाद से ही राहत महसूस करने लगे होंगे। वैसे भी देश के भीतर एक खास तरह की जनता हमेशा से मौजूद है जो बाबा, पुजारी, भगवान और पीर-फकीरों के प्रभाव से कोढ़ी, लाचार और अपाहिज को रातोंरात चंगा होते देखते आये हैं। अपनी इसी समझदारी के बूते पर अमित सिन्हा ने सीईओ के तौर पर एक-दो लोगों की जिंदगी नहीं बल्कि पूरा का पूरा एक चैनल ही चंगा करने की जिम्मेवारी अपने आराध्य पर डाल दी। अगर अमित सिन्हा के भीतर प्रोफेशनल एप्रोच होता, तो वो साईं मिलेनियर नाम से दूसरा चैनल खोलने के बजाय मौजूदा चैनल को दुरुस्त करने का काम करते। इस बात को समझ पाते कि दिन-रात साधना और आध्यात्म की बात करनेवाले चैनल भी बाज़ार की शर्तों पर चलते हैं, उसे कोई बाहरी शक्ति चंगा करने नहीं आती। नहीं तो अब या तो ये मानिए कि सारी गड़बड़ी उस आराध्य की है, वो अब समर्थ नहीं रह गये कि कोढ़ी को चंगा कर सकें या फिर अमित सिन्हा को इस पूरे प्रकरण के लिए जिम्मेवार मानिए कि उन्होंने सैकड़ों मीडियाकर्मियों की जिंदगी से खिलवाड़ किया है और भक्त होकर आस्था की सत्ता के आगे ढोंग रचने का काम किया है। ये मामला एक चैनल का है] इसलिए बाकी के चैनल कवरेज करने के बावजूद भी चुप्पी साधे बैठे हैं। नहीं तो दूसरी स्थिति होती तो ये पूरा मामला आस्था और कल्याण से जुड़ी स्टोरी एंगिल को लेते हुए हम ऑडिएंस के लिए एक के बाद एक पैकेज बनकर सामने आते। पूरा लेख मीडिया ख़बर.कॉम पर पढ़ सकते हैं। यहाँ क्लिक करें।

    1 टिप्पणी:

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