यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि शिक्षक हमारी शिक्षा व्यवस्था के हृदय हैं। शिक्षा को अगर बेहतर बनाना है तो शिक्षण विधियों के साथ-साथ शिक्षकों को भी इस हेतु पेशवर रूप से सक्षम तथा बौद्धिक रूप से सम्पन्न बनाए जाने की जरूरत है।
राष्ट्रीय पाठ्यचर्या 2005 में भी शिक्षक की भूमिका पर विशेष रूप से चर्चा की गई है। इसमें कहा गया है कि शिक्षक बहुमुखी संदर्भों में काम करते हैं। शिक्षक को शिक्षा के संदर्भों,विद्यार्थियों की अलग-अलग पृष्ठभूमियों,वृहत राष्ट्रीय और खगोलीय संदर्भों,समानता,सामाजिक न्याय, लिंग समानता आदि के उत्कृष्ठता लक्ष्यों और राष्ट्रीय चिंताओं के प्रति ज्यादा संवेदनशील और जवाबदेह होना चाहिए। इन अपेक्षाओं पर खरा उतरने के लिए आवश्यक है कि शिक्षक-शिक्षा में ऐसे तत्वों का समावेश हो जो उन्हें इसके लिए सक्षम बना सके।
इसके लिए हर स्तर पर तरह-तरह के प्रयास करने होंगे। टीचर्स आफ इंडिया पोर्टल ऐसा ही एक प्रयास है। गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा की प्राप्ति के लिए कार्यरत अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन (एपीएफ) ने इसकी शुरुआत की है। महामहिम राष्ट्रपति महोदया श्रीमती प्रतिभा पाटिल ने वर्ष 2008 में शिक्षक दिवस इसका शुभांरभ किया था। यह हिन्दी,कन्नड़, तमिल,तेलुगू ,मराठी,उडि़या, गुजराती तथा अंग्रेजी में है। जल्द ही मलयालम,पंजाबी,बंगाली और उर्दू में भी शुरू करने की योजना है। पोर्टल राष्ट्रीय ज्ञान आयोग द्वारा समर्थित है। इसे आप www.teachersofindia.org पर जाकर देख सकते हैं। यह सुविधा निशुल्क है।
क्या है पोर्टल में !
इस पोर्टल में क्या है इसकी एक झलक यहां प्रस्तुत है। Teachers of India.org शिक्षकों के लिए एक ऐसी जगह है जहां वे अपनी पेशेवर क्षमताओं को बढ़ा सकते हैं। पोर्टल शिक्षकों के लिए-
1. एक ऐसा मंच है, जहां वे विभिन्न विषयों, भाषाओं और राज्यों के शिक्षकों से संवाद कर सकते हैं।
2. ऐसे मौके उपलब्ध कराता है, जिससे वे देश भर के शिक्षकों के साथ विभिन्न शैक्षणिक विधियों और उनके विभिन्न पहुलओं पर अपने विचारों, अनुभवों का आदान-प्रदान कर सकते हैं।
3. शैक्षिक नवाचार,शिक्षा से सम्बंधित जानकारियों और स्रोतों को दुनिया भर से विभिन्न भारतीय भाषाओं में उन तक लाता है।
Teachers of India.org शिक्षकों को अपने मत अभिव्यक्त करने के लिए मंच भी देता है। शिक्षक अपने शैक्षणिक जीवन के किसी भी विषय पर अपने विचारों को पोर्टल पर रख सकते हैं। पोर्टल के लिए सामग्री भेज सकते हैं। यह सामग्री शिक्षण विधियों, स्कूल के अनुभवों, आजमाए गए शैक्षिक नवाचारों या नए विचारों के बारे में हो सकती है।
विभिन्न शैक्षिक विषयों, मुद्दों पर लेख, शिक्षानीतियों से सम्बंधित दस्तावेज,शैक्षणिक निर्देशिकाएं, माडॅयूल्स आदि पोर्टल से सीधे या विभिन्न लिंक के माध्यम से प्राप्त किए जा सकते हैं।
शिक्षक विभिन्न स्तम्भों के माध्यम से पोर्टल पर भागीदारी कर सकते हैं।
माह के शिक्षक पोर्टल का एक विशेष फीचर है। इसमें हम ऐसे शिक्षकों को सामने ला रहे हैं,जिन्होंने अपने उल्लेखनीय शैक्षणिक काम की बदौलत न केवल स्कूल को नई दिशा दी है, वरन समुदाय के बीच शिक्षक की छवि को सही मायने में स्थापित किया है। पोर्टल पर एक ऐसी डायरेक्टरी भी है जो शिक्षा के विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रही संस्थाओं की जानकारी देती है।
आप सबसे अनुरोध है कि कम से कम एक बार इस पोर्टल पर जरूर आएं। खासकर वे साथी जो शिक्षक हैं या फिर शिक्षा से किसी न किसी रूप में जुड़े हैं। अगर आपका अपना कोई ब्लाग है तो इस जानकारी को या टीचर्स आफ इंडिया की लिंक को उस पर देने का कष्ट करें।
इस पोर्टल के बारे में अधिक जानकारी के लिए आप मुझ से utsahi@gmail.comया utsahi@azimpremjifoundation.org पर संपर्क कर सकते हैं।
तो मुझे आपका इंतजार रहेगा।
शिक्षकों के लिए ई-मंच - टीचर्स आफ इंडिया
Posted on by राजेश उत्साही in
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टीचर्स आफ इंडिया
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ये हुई न बात.
जवाब देंहटाएंऐसे क्रियाकलापों को गति प्रदान किया जाये.
धन्यवाद!
सुलभ ( यादों का इंद्रजाल )
अपने आलेख में जानकारी तो आप अच्छी लेकर आए हैं .. इस लेख पर नजर बहुतों की पडी होगी .. क्यूंकि यह पोस्ट ब्लोगवाणी पर काफी देर तक रही .. पर चूंकि यह एक खास वर्ग से संबंधित है .. इसलिए पढा बहुतों ने न भी हो .. या फिर जिन्होने पढा वे भी टिप्पणी न कर पाए हों .. या फिर आपका कहना माना जा सकता है कि इस तरह के विषयों में हमारे साथियों की रूचि नहीं है .. टिप्पणी नहीं मिलने से तो लेख की सार्थकता के प्रति थोडा संदेह हो जाता है .. यदि किसी ने 'जानकारी के लिए आभार' भी लिख दिया होता .. तो इस प्रकार के आलेख लिखने में उर्जा लगानें में उत्साह रहता .. यही बात ब्लागर नहीं समझ पाते हैं .. और अधिक टिप्पणी करनेवालों के बारे में गलत राय बनाते हैं .. ऐसा कहकर कि वे सस्ती लोकप्रियता के लिए यह काम कर रहे हैं !!
जवाब देंहटाएंचलिए टीचर्स के लिए सोचा तो सही ....वर्ना आजकल तो उसकी बुरी स्थिति हो गयी है ...त्रिशंकु से भी बदतर ..
जवाब देंहटाएंमंच का हार्दिक स्वागत है .
जवाब देंहटाएंहां बात तो जरूर है सुलभ जी
जवाब देंहटाएंधन्यवाद अविनाश जी
बताते रहा करिये
(हां कभी चीटर्स पर कोइ मन्च दिखे तो भी बता दिजियेगा जरूर से प्लीज)
इस जानकारी से भरे लेख के लिए धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंइसे दर्ज़ कर लेता हूँ अपने घर से शुरू करके अन्य शिक्षकों तक यह बात पहुंचाउंगा
जवाब देंहटाएंअविनाश जी बहुत-बहुत शुक्रिया। अन्य सभी टिप्पणीकारों का भी धन्यवाद कि आखिर उन्होंने इसका नोटिस लिया। आप सबसे अनुरोध है कि इस पोर्टल के बारे में अधिक से अधिक लोगों को बताएं ताकि वे इसका लाभ ले सकें और योगदान कर सकें।
जवाब देंहटाएंबहुत सार्थक आलेख. बेहद सही पहल.
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