नयी दिल्ली। शनिवार, ११ जुलाई को मौका था पत्रकार स्व. उदयन शर्मा को याद करने का. हरेक साल उदयन शर्मा मेमोरियल ट्रस्ट उनके जन्मदिन वाले दिन यानि ११ जुलाई को एक स्मृति सभा का आयोजन करती है. इस मौके पर रफी मार्ग स्थित कॉन्सटीट्यूशन क्लब प्रिंट और इलेक्ट्रोनिक मीडिया के पत्रकारों से खचाखच भरा हुआ था. संगोष्ठी में 'लोकसभा चुनाव और मीडिया को सबक' विषय पर परिचर्चा हुई और इस दौरान काफी गरमा - गर्मी भी हुई. कॉन्सटीट्यूशन क्लब के सभागार का माहौल तब गरमा गया जब आईबीएन - 7 के प्रबंध संपादक आशुतोष अपनी बात रखने मंच पर आये. आते ही अपने चिरपरिचित आक्रामक अंदाज़ में उन्होंने कहा कि - "मैं यह मानने को कतई तैयार नहीं हूँ कि पत्रकरिता रसातल में चली गयी है और पत्रकार बिक चुके हैं. सबसे बड़ी दिक्कत है कि बहुत सारे लोग २००९ में भी भारत को १९४७ और १९७७ के आईने से देखते हैं. इस दृष्टि में बदलाव लाने की जरूरत है. मैं मानता हूँ कि आज बाज़ार का दवाब है और उससे सामंजस्य बिठा कर चलना पड़ता है. लेकिन इस वजह से यह कह देना कि पत्रकारिता रसातल में चला गया है ठीक नहीं है. पूरी रिपोर्ट आप मीडिया ख़बर.कॉम पर पढ़ सकते हैं। यहाँ क्लिक करें ।
स्वर्गीय उदयन शर्मा की स्मृति में संगोष्ठी, कपिल सिब्बल और टीवी पत्रकार आशुतोष की बात पर गरमाया सभागार का माहौल
Posted on by पुष्कर पुष्प in
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आशुतोष,
मीडिया खबर
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सादर ब्लॉगस्ते!
जवाब देंहटाएंआपका संदेश अच्छा लगा।
अब सरकोजी मामा ठहरे ब्रूनी मामी की नग्न तस्वीर के दीवाने। वो क्या जाने बुर्के की महिमा। पधारें "एक पत्र बुर्के के नाम" सुमित के तडके "गद्य" पर आपकी प्रतीक्षा में है
आंख खोलती
जवाब देंहटाएंसच को तोलती
एक तीखी रपट।
पत्रकारिता एक मिशन था लेकिन आज व्यापार बन गया है तब हम कैसे यहाँ आदर्श की बात कर सकते हैं? बस अब समय आ गया है कि जनता को इनकी खबरों पर यकीन नहीं करना चाहिए, क्योंकि ये लोग किसी का भी चरित्र-हनन पैसे के कारण कर सकते हैं। शायद इसी कारण लोग खबरों से अधिक सीरियल देख रहे हैं और न्यूज चेनल भी जनता की बेरुखी देखते हुए खबरे कम सनसनी ज्यादा फैला रही हैं। आपने अच्छी रपट दी, इसके लिए बधाई। क्योंकि ऐसी खबरे तो मीडिया में आती नहीं।
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