इन दिनों टीवी चैनलों में टीआरपी बढ़ाने के लिए जिस तरह से आपाधापी हो रही है, वह पहले कभी नहीं थी। इसके चलते ये टीवी चैनल इस तरह के फूहड़ और अश्लील कार्यक्रम परोस रहे हैं जिनका न कोई सिर होता है न पैर। बस अगर होता है तो दर्शकों को उत्तेजित या खौफजदा करना ताकि वे आधा घंटा, एक घंटा या चौबीस घंटा उनकी उस बेहूदगी को झेलते और अपना सिर धुनते रहें। कोई भूत-प्रेत का सहारा ले रहा है, तो कोई साक्षात् शंकर जी को ही परदे पर ले आता है जो कहते हैं किसी भक्त के सपने में आये होते हैं। वह भक्त उनका वीडियो भी बना लेता है। यानी चैनल की इस कपोल कल्पना पर यकीन करें तो कलियुग में कितने सुलभ और सस्ते हो गये हैं भगवान। हर चैनल कोई भी खबर देते समय यह दावा करता है कि यह खबर सिर्फ और सिर्फ वह ब्रेक कर रहा है। कुछ इस तरह के जुमले उछाले जाते हैं- `यह खबर आप सिर्फ और सिर्फ इसी चैनल पर देख रहे हैं। ' `यह हमारी एक्सक्लुसिव खबर है।' यकीन मानिए चैनल घुमा कर देखिए वह खबर दूसरे कई चैनलों में भी दिखेगी और वह भी यही कह रहे होंगे कि खबर हमने ब्रेक की, आप हमारे ही चैनल पर इसे पहली बार खास तौर पर देख रहे हैं। अब आप किस पर यकीन करेंगे कि किस चैनल का दावा सही है। पूरा लेख आप मीडिया ख़बर.कॉम पर पढ़ सकते हैं। लिंक : मीडिया ख़बर.कॉम
सच का सामना या निजता में सेंध
Posted on by पुष्कर पुष्प in
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मीडिया ख़बर,
स्टार प्लस
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भगवान् के बारे में ऐसे ऐसे समाचार देते है जैसे देवर्षि नारद विष्णुधाम से आकर उनको बता के गए हों | या फिर नारदजी ऊपर से ही मेल वेल करते होंगे | सत्ययुग के समाचार तो नारदजी ही लाते थे | धरती के समाचार विष्णुजी को और विष्णुजी के समाचार धरती पे | लगता है समाचार एजेंसियों से कोई ६० गांठ ( sixty tie ) कर रक्खी है |
जवाब देंहटाएंखबरों को नाटकीय अंदाज़ में मसाला मार के परोसना, रियलिटी टीवी के नाम पर कुछ भी दिखा देना, सनसनीखेज खबरों के नाम पर दुनिया भर के पेड़ों से दूध निकलता दिखाना या आत्मा परमात्मा की बातें करना, बड़ी जिम्मेदारी का काम करती है हमारी मीडिया!
जवाब देंहटाएंआप जैसे महान व्यक्तित्व से मिली शुभकामनायें मेरे लिए अमूल्य हैं
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