मत काटो इन्हें !!
मत काटो इन्हें, मत चलाओ कुल्हाडी
कितने बेरहम हो, कर सकते हो कुछ भी?
इसलिए कि ,ये चींख सकते नहीं?
ज़माने हुए,मैं इनकी गोदी में खेलती थी,
ये टहनियाँ मुझे लेके झूमती थीं,
कभी दुलारतीं, कभी चूमा करतीं,
मेरी ख़ातिर कभी फूल बरसातीं,
तो कभी ढेरों फल देतीं,
कड़ी धूप में घनी छाँव इन्होंने दी,
सोया करते थे इन सायों तले तुम भी,
सब भूल गए, ये कैसी खुदगर्जी ?
कुदरत से खेलते हो, सोचते हो अपनी ही....
सज़ा-ये-मौत,चाहिए मिलनी
सज़ा अन्य कोई काफी नहीं....
और किसी काबिल हो नही...
अए, दरिन्दे! करने वाले धराशायी,इन्हें,
तू तो मिट ही जायेगा,मिटने से पहले,
याद रखना, बेहद पछतायेगा.....!
आनेवाली नस्ल के बारे में कभी सोचा,
कि उन्हें इन सबसे महरूम कर जायेगा ?
मृत्युशय्या पे खुदको, कड़ी धूप में पायेगा!!
शमा
कुदरत से किए गए खेल का असर हम देख रहे हैं...रुके हुए हैं बरसात के लिए...एक बूँद भी बरसती नही ...आते हैं बादल, कुछ देर दिल बहलाते हैं, हवाओं के साथ अन्य देश, दूर कहीँ उड़ जाते हैं...
एक अनुभव से उपजी हुई जानकारी दे रही हूँ..."ficus" परिवार के जो वृक्ष होते हैं, जैसे बरगद , इनके नीचे खड़े रहो, तो चाहे कहीँ ना बरस रहा हो पानी, चंद बूँदे टपकती रहती हैं..!
मेरे blogs पर बोनसाई के रूप में इनकी slides हैं...इन्हें 'areal roots" निकलते हैं...जो डालों पर से उतर मिट्टी में जाते हैं..इस कारण ये पेड़ वातावरण में से नत्र जन्य पदार्थ सोख लेते हैं...
मेरे "बागवानी" ब्लॉग पर पर्यावरण में से प्रदूषण सोख लेने वाले पौधों की जानकारी दी है..जैसे " spider plant", जो गमले में लगाया जा सकता है..
शमा
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शामाजी कहना क्या है इस से बडिया जानकारी कहाँ मिल सकती है और सुन्दर कविता के साथ बहुत बहुत धन्यवाद्
जवाब देंहटाएंसामयिक और सार्थक पोस्ट .. शमा जी को बहुत बहुत धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंइस चित्र के बदले , मै "ficus" परिवार का चित्र लगाने की कोशिश करूँगी ...अविनाश जी से बिनती करती हूँ ...!
जवाब देंहटाएंये तस्वीर लगानेका कष्ट उन्हों ने उठाया है ..बोहोत बोहोत धन्यवाद !
आपका स्नेह /विश्वास बरक़रार रहे , यही ईश्वर चरणों में दुआ है ..!
this poem is a very beautiful isnpiraton...
जवाब देंहटाएंmeet
बहुत अच्छी जानकारी दिया आपने,
जवाब देंहटाएंनित ऐसे ऐसे तरीके से ज्ञान बढ़ाने के लिए धन्यवाद
nice one........
जवाब देंहटाएंSHAMA JI BHUT HI SUNDER KAVITA MERA DHANYBAAD SWIKAAR KARE
जवाब देंहटाएंSAADAR
PRAVEEN PATHIK
9971969084
बहुत ही बढ़िया जानकारी है ....मैं बहुत दिनों से जानने का प्रयास कर रही थी ....स्कूल से आते समय कई बार कड़कती धूप में चेहरे पर छींटे पड़ते थे ...मैं हैरान रह जाती थी ..कईयों से पूछा पर जवाब नहीं मिला ....आज पता चला... और कविता तो है ही लाजवाब
जवाब देंहटाएंसामयिक और सार्थक पोस्ट
जवाब देंहटाएंसार्थक कविता
जवाब देंहटाएंkash ham sab is ko samajh pate aur prithvi ko vinash se bacha paate
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