असामयिक झपट में,
गमों की लपट में,
उथल पुथल करवट में,
काव्य परिवार जल रहा है,
हम में से किसी का भी,
कोई बस नही चल रहा है
सब बेबस हैं।
.
सब दुआ कर रहे हैं,
किसी और अनहोनी से डर रहे हैं,
कितनी अजीब बात है,सोचिए ,
समझ में नही आया ?
जो सभी की मुस्कान थे,
आज उन्हीं ने रुलाया है.
समय ने रंग बदला,
अंधेरे में सूरज ढला,
सोच रहा हूँ,
ये सब क्या हो गया,
सब को प्रकाशित करने वाला,
आदित्य,कैसे सो गया ?
काल के आघात में,
घनघोर काली रात में,
खो गये लाड सिंह और नीरज पुरी,
रह गयी सारी तमन्ना अधूरी,
उनसे मुलाकात का, ख्वाब टूट गया,
करता क्या जब, भाग्य ही हमसे रूठ गया.
भगवान से पूछ रहा था,
फरियाद कर रहा था,
पूरी कवि मंडली के साथ, ऐसी घटना,
विकट,अविस्मरणीय दुर्घटना,क्यों ?
क्या भगवान भी गमों मे लीन हैं,
हास्य के मधुर रस से हीन हैं,
अगर हाँ तो ये उनका, तरीका सही नही हैं,
ऐसे खुशी नहीं मिलती,
और दूसरों की हँसी छीन लेने से,
कभी हँसी नहीं मिलती.
अब तक जान चुके होंगे आप भी,
हमारा प्यार, अपनों के लिए,
हम सब की प्रार्थना और प्रयास,
टूटे सपनों के लिए,
हे ईश्वर,ऐसा कर दीजिए,
बिखरे परिवार में ,फिर से खुशहाली भर दीजिए,
आग्रह है आपसे,
निवेदन है आपसे,
हमे हँसने का साहस लौटा दीजिए,
मुस्कुराहट हमारी लौटा दीजिए,
झिलमिलाती छोटी उम्मीद बड़ी कर दो,
भगवान!!
हास्य का गुदगुदाता मंच,
फिर से सज़ा दो,
ओम व्यास जी को मंच पर,
फिर से बुला दो,
और
हंसी की फुलझड़ी से चेहरों को रोशन कर दो।
भगवन को हंसी की ज़रुरत हमसे ज्यादा रही होगी.
जवाब देंहटाएंbahut achchha likha hai aapne
जवाब देंहटाएंसचमुच आज हिन्दी ाव्य जगत रो रहा है। श्रद्धांजलि निवेदित है।
जवाब देंहटाएंसादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
aapke dard me hamaara dard bhi shaamil hai.
जवाब देंहटाएंक्य कहें.. सारे ही प्रिय कवि थे..
जवाब देंहटाएंबहुत खूब। पढ़ना अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंमेरी दिली कामना है कि ओम व्यास जी इस कविता को अवश्य पढ़ सकेंगे। विनोद जी को इस गंभीर विनोदी कविता के लिए आशीर्वाद।
जवाब देंहटाएंबहुत ही दुखद है.........
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