दुःख सुख क्या है
वक्त का अँधेरा है
फैला है चारो ओर
कव होगा सवेरा
कब मिटेंगे दुःख मेरे
जीवन फिर महकेगा
दुःख के अंधेरो मे
आशा के होने से
विजली तो चमकती है
ऐसा समय आयेगा
फिर सुख के दिन होंगे
सूरज फिर चमकेगा
जीवन मे देखो तो
हैं रात बड़ी लम्बी
घनघोर है अँधेरा
दुःख का है कथानक
सुख महज प्रसंग है
कौन सदा चहकेगा
achchhe bhav hain...
जवाब देंहटाएंso nice
जवाब देंहटाएंsundar
जवाब देंहटाएंbhav pravan ...
जवाब देंहटाएंsaarthak rachna........
badhai !
हरी जी सच मै दुख के बाद सुख जरुर आयेगा, वो सुबह कभी तो आयेगी....
जवाब देंहटाएंधन्यवाद एक बहुत अच्छी कविता के लिये.
sukh or dukh ko khub achhe se likha aapne...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना !!
जवाब देंहटाएंउम्मीद की किरण जगाती सुन्दर कविता
जवाब देंहटाएंकही छाँव तो कहीं धूप,
जवाब देंहटाएंदुख और सुख जीवन का स्वरूप.
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति...
bahut shahi kaha apne ............ badhai swikar ho !
जवाब देंहटाएंसार्थक अभिव्यक्ति.....बधाई....
जवाब देंहटाएंसाभार
हमसफ़र यादों का.......