सुख और दुःख

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  • दुःख सुख क्या है
    वक्त का अँधेरा है
    फैला है चारो ओर
    कव होगा सवेरा
    कब मिटेंगे दुःख मेरे
    जीवन फिर महकेगा
    दुःख के अंधेरो मे
    आशा के होने से
    विजली तो चमकती है
    ऐसा समय आयेगा
    फिर सुख के दिन होंगे
    सूरज फिर चमकेगा
    जीवन मे देखो तो
    हैं रात बड़ी लम्बी
    घनघोर है अँधेरा
    दुःख का है कथानक
    सुख महज प्रसंग है
    कौन सदा चहकेगा

    11 टिप्‍पणियां:

    1. हरी जी सच मै दुख के बाद सुख जरुर आयेगा, वो सुबह कभी तो आयेगी....

      धन्यवाद एक बहुत अच्छी कविता के लिये.

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    2. उम्मीद की किरण जगाती सुन्दर कविता

      जवाब देंहटाएं
    3. कही छाँव तो कहीं धूप,
      दुख और सुख जीवन का स्वरूप.

      बहुत सुंदर अभिव्यक्ति...

      जवाब देंहटाएं
    4. बेनामीजून 30, 2009 2:32 am

      सार्थक अभिव्यक्ति.....बधाई....

      साभार
      हमसफ़र यादों का.......

      जवाब देंहटाएं

    आपके आने के लिए धन्यवाद
    लिखें सदा बेबाकी से है फरियाद

     
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