फिर भी देखो याद है हमको ,पर्यावरण दिवस

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  • विनोद कुमार पांडेय
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  • आज पर्यावरण दिवस है,अच्छी बात है,पर मैं सोचता हूँ की इस दिवस का हमारे लिए कितना महत्त्व है,अरे आज तो लोग बस यही कहते रहते है,पेड़ लगाओ मगर जहाँ मैं देखता हूँ कौन कितना ये काम कर रहा है,बहुत कम एक दो लोग ..लोगो को लगता है की हमारे प्रचार करने से लोग पेड़ लगाने लगेंगे और सब कुछ ठीक हो जाएगा पर हम ऐसा क्यों नही सोचते की हम भी तो उन्ही लोगो का एक हिस्सा है जिन्हे ये अमल करना हैं,क्या हम ने कुछ किया या वो जिन्हे इन बातों की ठेकेदारी मिली है.

    बड़ी बड़ी बातें करते हैं,होता कुछ ना टस से मस,
    फिर भी देखो याद है हमको, पर्यावरण दिवस.

    हरा भरा यह धरा बनाओ, नारे गाते रहते है,
    सुबह से लेकर शाम,रात तक ,ऐसे ही बस कहते है,
    कितने पेड़ लगाए हम ने, पहले सोचो फिर देखो,
    गैरों की बातों को छोड़ो, पहले अपने घर देखो,

    गलियारें मे वही पुराने,कागज के फूल दिखेंगे बस,
    फिर भी देखो याद है हमको, पर्यावरण दिवस.

    स्वच्छ हरा यह शाम सुबह,,धुआँ,धूल से हारी है,
    होश नही है,पेड़ो को भी, इतनी ज़िम्मेदारी है,
    जड़ से लेकर पत्तों तक, ये काँप रहे है आज.
    प्रदूषण और देश की हालत, भाँप रहे है आज,

    खड़े खड़े ये सोच रहे है,होकर के बेबस,
    फिर भी देखो याद है हमको, पर्यावरण दिवस.

    कहने मात्र से परिवर्तन, होते तो कब के हो जाते,
    अमल नही हम खुद करते है,बस कह कर के खो जाते,
    कहना नही हमे करना है,आज ही ऐसा कसम उठाओ,
    देश मे हरियाली तुम लाओ,प्रदूषण से देश बचाओ,

    मगर कहाँ कोई सुनता है,एक सुने तो बीस बहस,
    फिर भी देखो याद है हमको, पर्यावरण दिवस.

    4 टिप्‍पणियां:

    1. पर्यावरण प्रदूषण रहित बनाना है----कुछ तो करना होगा.

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    2. विनोद जी एक बात समझ नहीं आई। आप खुद अपनी ही रचना पर टिप्‍पणी क्‍यों करते हैं। पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने का आपका अभियान स्‍वागत योग्‍य है। लेकिन पर्यावरण केवल पेड़ पौधे नहीं हैं। हम जहां रहते हैं,जो बोलते हैं,जो लिखते हैं वह भी हमारा पर्यावरण है। पर्यावरण दिवस के मौके का फायदा उठाकर मैं आपसे एक निवेदन करना चाहता हूं, कृपया आप अपनी भाषा में हो रहे प्रदूषण से उसे बचाने का प्रयत्‍न करें। आप जो लिखते हैं वह विचार के स्‍तर पर बहुत अच्‍छा है, पर उसमें व्‍याकरण या लिंग की गलतियां होती हैं। ये गलतियां न केवल आपकी लेखनी को प्रदूषित कर रही हैं,बल्कि नुक्‍कड़ को भी। उम्‍मीद है आप मेरी बात पर गौर करेंगे।

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    3. प्रदूषण हटाना ज़रूरी तो है पर सरकार की ही पहल काफी नहीं. सबको जुटना होगा.

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    4. धन्यवाद,राजेश जी
      आपके इस सुझाव पर मैं अवश्य गौर करूँगा और जल्द ही आपको मेरी रचनाओं मे परिपक्वता मिलेगी.
      अभी के लिए मैं बस यही कहना चाहता हूँ,की मैं बस लोगो तक अपनी बात पहुँचना चाहता हूँ और लोगो को हँसाना, मेरे इस अभियान मे मेरी भावनाएँ कभी कभी भाषा,शब्द,व्याकरण के बंधनो को तोड़ देती है,जो साहित्यिक रूप से सही नही है अब आप लोगो के समकक्ष मे आकर निश्चित रूप से इसमे सुधार होगा.

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    आपके आने के लिए धन्यवाद
    लिखें सदा बेबाकी से है फरियाद

     
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