मन यूँ ही सोच बैठा आज सुबह कि क्या ऐसा भी हो सकता है कि देश को एक ऐसी सरकार मिल जाये जिस को असमय अवाँछित गर्भ की तरह गिराया ना जा सके. जो केवल इसी चिंता मॅ ना लगी रहे कि कैसे अपना कार्यकाल पूरा करे.
सोनिया गाँधी और राहुल जी ने जो नई जान कांग्रेस पार्टी मॅ फूँकी है वह सराहनीय है. मैं इस परिवर्तन के लिये पूरे देश को बधाई दे रहा हूँ. आप सभी पाठकॉ , लेखकॉ और समीक्षकॉ से अपने इस विचार के बारे मॅ राय चाहूँगा. साथ मॅ चाहूँगा कि यह जानना भी कि देश का जन-सामान्य क्या कहता है कि क्यॉ न देश के दो मुख्य राजनीतिक दल मिल कर सरकार बनायें???? आखिर दोनॉ दलॉ का लक्ष्य तो देश हित ही है ना.... फिर क्यॉ मौका परस्त नेता लोगॉ को देश के गरिमामयी संसद भवन मॅ गन्दगी फैलाने दी जाये??? अगर सहयोग लेना ही है तो क्यॉ ना देश के दूसरे सबसे बड़े दल से लिया जाये???
देश एक सुव्यवस्थित और स्थिर शासन व्यवस्था के लिये दोनॉ दलॉ का मुँह ताक रहा है. क्या भ्रष्टाचार, बेरोज़गारी, सामाजिक असुरक्षा, महंगाई और आतंकवाद से जूझते लोगॉ को ये दोनॉ राजनीतिक दल ( कांग्रेस और भा.ज.पा.) मिलकर एक उत्कृष्ट, ईमानदार (कम-भ्रष्ट), देशहित मॅ कार्य करने वाली सरकार नही दे सकते.
क्या उनके लिये सिर्फ पार्टी ही बडी है???
कृप्या अपना विचार टिप्पणी के रूप मॅ अवश्य दें.
कांग्रेस और भारतीय जनता पाटी की साझा सरकार....बन पायेगी??
Posted on by मनुदीप यदुवंशी in
Labels:
चुनाव परिणाम.,
देशहित,
साझा सरकार,
सार्थक राजनीति
Labels:
चुनाव परिणाम.,
देशहित,
साझा सरकार,
सार्थक राजनीति
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
चुनाव परिणाम निकलने और स्थिर सरकार की संभावना बन जाने के बाद यह लेख ?
जवाब देंहटाएंकहीं ऐसा तो नहीं है कि इस टिप्पणी के मूल में भाजपा के सत्ता से दूर रह जाने की व्यथा है? अगर भाजपा सत्ता में आती तो भी क्या यह टिप्पणी लिखी जाती?
जवाब देंहटाएंदेखिए, देश में कम से कम दो ताकतवर दलों का बना रहना ज़रूरी है. आप तो दोनों को मिलाकर एक कर देना चाहते हैं. यह तो बहुत खतरनाक बात होगी.
अबकी बार तो इसकी कोई आवश्यक्ता रही नहीं..
जवाब देंहटाएंभविष्य कुछ ऐसा ही नजर आता है। पर भाजपा को बहुत सी चीजें छोड़नी पड़ेंगी। इस चुनाव ने जिन्हें छोड़ने का दबाव उन पर बना दिया है। दोनो के फर्क को दूर करने में बहुत वक्त लगेगा। पर होना यही है एक दिन। यह भी हो सकता है कि जिस तरह जनसंघ समाप्त हो गया भाजपा भी हो ले।
जवाब देंहटाएंaccha vichar he aisa ho jaye to kya kehane .....cartoon banane k liye kuch naye vishey mil jayenge... ;D
जवाब देंहटाएंश्रीमान दुर्गा प्रसाद जी, आपके विचार के धन्यवाद. मगर मेरा जुड़ाव किसी राजनीतिक पार्टी से नही है. मैं भारत देश के हित मै सोच रहा था. अक्षम सरकार किसी भी दल की अगुवाई मै बने हानि हम ही झेलेंगे.
जवाब देंहटाएं