क्या हम सब सो रहे हैं?,सोचो,कुछ लोग तो ऐसा ही समझते हैं.

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  • विनोद कुमार पांडेय
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  • आज के युवा परिवेश की सच्चाई बयाँ करती हुई एक छोटा सा अनुभव को आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ. देखिएगा….

     

    सुबह न्यूज़ मे पढ़ा था,

    तो सभी से मज़े लेने पर अड़ा था,

     

    की भारत की जागरूक भावी पीढ़ी देखो,

    अब सिगरेट के डिब्बों पर छ्पेगें,बीमार फेफड़े,

    और गुटकों के पैकेट दिंखेगे बिच्छू और केकड़े,

     

    खाओ,पिओ फिर देखना,जल्द ही जब आप एक्सरे कराएँगे,

    तो जनाब आपके फेफड़े, ऐसे ही  नज़र आएँगे,

    और गुटका का मसाला अभी नही,बाद मे असर करेगा,

    जब लड़कपन और जवानी की ग़लती, आपका बुढ़ापा भरेगा.

     

    जो भी मिलता सबको बता रहा था,

    और इस तरह चिढ़ाने मे हमको खूब मज़ा आ रहा था,

    की भाई सच्चाई देखो,अब तो सुधर जाओ,

    जीवन की गति को ऐसे मत गड़बड़ाओ.

     

    अपने अमूल्य शब्दो का बिन मोल व्यापार करता रहा,

    और बिना लहर सामाजिक सुधार का प्रचार करता रहा,

    परंतु ये प्रचारिक माहौल,

    ज़्यादा देर तक नही चलने नही पाया,

    एक दुकान दार मिला उसने फिर बैठ कर समझाया,

    बोला सुनो, तुम्हारे ऐसे चिल्लाने से कुछ भी असर नही हो रहें है,

    क्योंकि जिसे तुम जगा रहे हो,

    वो सब आधुनिकता की गहरी नींद मे सो रहें है.

     

    वो मुझे चुप करा कर अपनी बात पर अड़ा,

    बोला चाहे जितना दिखे,बिच्छू और केकड़ा,

    जब तक आपके देश का,ये होनहार पीढ़ी सोएगा,

    तब तक कोई भी, परिवर्तन नही होएगा,

     

    उसकी सच्ची बात,मेरे दिलोदिमाग़ पर छा गयी,

    और वो कड़वा अनुभव,कविता बन कर, नुक्कड़ पर आ गयी,

    सरकार चाहे जितना करे प्रचार, परिवर्तन  तो तभी आएँगे,

    जब हर व्यक्ति, सोचेंगे,समझेंगे अपने अंदर वो विचार लाएँगे.

     

    बस सभी से यही योगदान चाहता  हूँ,

    हर नुक्कड़,शहर और प्रदेश के जीवित प्राणियों से ये अभियान चाहता हूँ,

    मेरी इस भावपूर्ण कविता को अपने,प्रयासों से अनूठी कर दो,

    खुद को सच कर,उस दुकानदार के बातों को झूठी कर दो.

    9 टिप्‍पणियां:

    1. नुक्कड़ पर,मेरी प्रथम कविता---- आज हमे बहुत अच्छा लग रहा है..

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    2. ये बातें कब से हम सब कर रहे है की जबतक सब सोचेंगे समझेंगे नही कुछ नही होने वाला इस देश का ...

      आपने सच्चाई उजागर की है देश की जनता की । अच्छी पोस्ट पढ़ाने का शुक्रिया ...,..

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    3. bilkul sahi kaha aapne.sirf soch aur mansikata badalne ki jaroorat hai,bas bhavi pidhi ko yahi samajhna hai ........phir sab apne aap badal jayega..........bas shayad waqt lagega.

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    4. बिलकुल सही फ़रमाया आपने ....इस peedhe ko jaagna hee hoga ...

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    5. स्‍वागत है आपका .. बहुत बढिया विषय का चयन किया आपने .. प्रस्‍तुतीकरण भी अच्‍छा है।

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    6. फेफडे और कीडे मकोडे सभी छपते रहेंगे इन ज़हरीली चीज़ों पर और बिकते भी रहेंगे!!!!!!!!!!!!!

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    7. मुश्किल है ये अभियान
      क्योंकि जब तक
      बुढ़े दादाजी और पापा जी
      बच्चो से सिगरेट और मसाल मंगवायेंगे
      बच्चे नही खाने की सीख कहा से पायेंगे?

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    8. आखिर शोर मचाना भी तो आधुनिकता का हिस्सा है जी....देखिये कितना परसेंट वोट हुआ .?..

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    9. bahut badiya,,,aur geharaie se likha he.....
      vinod ji meto aapka fan... pankha cooler ac sab ho gaya ho.... ;)

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    आपके आने के लिए धन्यवाद
    लिखें सदा बेबाकी से है फरियाद

     
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