सर्तक रहें
उनसे
जो बोलते हैं मुंह पर
बिना आगा-पीछा सोचे
फट से सच-सच
सतर्क रहें
उनसे भी
जो बोलते हैं मुंह देखकर
तौलकर,सोचकर
करके आगा-पीछा
लेकिन जो
नहीं बोलते हैं कुछ
रहते हैं चुप्पी साधे
सतर्क रहने की
कहीं अधिक जरूरत होती है
उनसे
चुप्पी
सदियों से सोए हुए
ज्वालामुखी की मानिंद है
फूटेगी जिस दिन
बचेगा नहीं कोई
लावे से उसके!
0 राजेश उत्साही
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तर्क करें उनसे
जवाब देंहटाएंलावा हैं जो
लावे का दें
रुख मोड़
हो सृजन
उस पल से।
सच कहा आपने...अपुन भी अभी चुप हैँ...जिस दिन अन्दर का गुबार निकलेगा तो कहानियों ज्वालामुखी फटेगा
जवाब देंहटाएंवाह !! बहुत सही ... बहुत बढिया लिखा।
जवाब देंहटाएंऐसी चुप्पियों की मुखरता बहुत विस्फोटक होती हैं ...
जवाब देंहटाएंवाह जी वाह बहुत ही अच्छे बेहतरीन लिखा है आपने अविनाश जी बधाई हो
जवाब देंहटाएंकुल मिलाकर यह स+तर्क रहें सबसे।
जवाब देंहटाएंहम भी सतर्क है । सुन्दर लिखा है।
जवाब देंहटाएंये लावा जब फूटेगा तो क्या होगा ।
जवाब देंहटाएंये अगर कोई जान जाता तो आज देश सही दिशा में जा रहा होता ।
आपकी रचना के लिए आप को बधाई ।
बहुत सुन्दर बहुत अच्छा लिखा है
जवाब देंहटाएंchup rahna और चुप चाप देखना
जवाब देंहटाएंदोनों ही खतरनाक होता है
हमारे लिए भी,तुम्हारे लिए भी
aapne to ek atal satya ko bakhubi bayan kar diya.bahut badhiya.
जवाब देंहटाएंbahut aacha likhte hain i always sailut to people who thinga and wright like this..... aap ka mere blog me swaght hai..... शाहिल को सरगम, खेतो में पानी, सावन सुहानी, पतझड़ को बहार, धरती को प्यार, राही को रास्ता, मुशाफिर को मंजिल, मृत्यु को जीवन, जीवित को भोजन,
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