अविनाश खोना मत विश्‍वास

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  • अविनाश वाचस्पति
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  • मेरे हमनाम सफर ये तमाम
    झूठ का ही करेगा काम तमाम
    मोहरा हो या मोहर लगती है
    पिटती है, घिसटती है, सच
    नहीं सिमटता कभी, डटता है
    घात लगाकर किया आघात
    सफर यूं ही तमाम नहीं होता
    निकलता इससे दुखों का सोता
    सुख भी सदा नहीं सोता रहता
    सच सामने आएगा देखना जरूर
    झूठ बिलबिलाएगा जल्‍द जी हूजुर।

    7 टिप्‍पणियां:

    1. सच में भी आज झूठ का पुलिंदा है, बन गया सच और झूठ का गोरखधंधा है। झूठ और सच दोनों शर्मिन्‍दा हैं।

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    2. कविता आपकी बेहद चुनिंदा है,
      आज नही तो कल झूठ जरूर शर्मिन्दा है,
      बिलबिलाने को झूठ ही काफी है मेरे दोस्त-
      सच को बचाने को अभी हम-तुम ज़िन्दा हैं.

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    3. jhoot yadi kavitaon se chhpata to duniya ke sare jhut chhip jate don't take tention.

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    4. अविनाश भाई, विश्वास ही नहीं, आत्मविश्वास को भी नहीं खोने देना है। हमारा आत्मविश्वास अगर मजबूत है तो विपरीत और विकत स्थितियों/परिस्थितियों में भी विजय पताका फहरा सकते हैं।

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    5. झूठ के पांव नहीं होते हैं,
      कभी कहीं भी पहुंच सकता है।
      पर बिना पांव के भला कभी वह ,
      फासला क्‍या तय कर सकता है ?
      भटकते भटकते ,भागते भागते,
      भी उसे अभी तक कुछ न मिला।
      मंजिल मिलनी तो दूर रही ,
      दोनो पांव भी खोना ही पडा।

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    6. कविता पर संगीता जी की
      प्रति कविता शानदार है
      बधाई।
      इसे स्‍वतंत्र पोस्‍ट के तौर
      पर भी लगा सकती हैं आप।

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    आपके आने के लिए धन्यवाद
    लिखें सदा बेबाकी से है फरियाद

     
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