बगलोल का आटा

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  • अविनाश वाचस्पति
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  • पढ़ लिया होगा
    आज का
    सांध्‍य टाइम्‍स।


    सार है इसका

    सिर्फ इतना

    कि मूर्खता की

    नहीं होती सीमा।

    3 टिप्‍पणियां:

    1. सांध्य टाईमस नहीं खुला....पर मूर्खता तो सर्वर्त्र व्याप्त्य है बन्धु! प्रकार अलग-अलग हों, भले मूर्ख ना समझे-ना स्वीकारे अपनी मूर्खता को....

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    2. wah jnab
      saandhya times ka itna bada mazak?
      murkhta samacharo me yaa news paper me??
      pls bataye...

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    3. समाचार पढा, न कभी साँध्य टाईम्स देखा....
      मूर्खता!....समाचार विधा का अन्तिम हेतू समाज और राष्ट्र का हित है ना! समाचार पहुँचा देने की त्वरा;उससे पाठक बढाने की व्यसायिक विवशता;उस हेतू से सनसनीजनक समाचारों को बनाना...सनसनी बन गया है मूल हेतू. यह ठगी क्या भस्मासुरी नही बन जाया करती? तो अपने ही हितों पर चोट करने वाले को क्या कहें अमिताभ जी!

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    आपके आने के लिए धन्यवाद
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