पुरुषों की ब्रा की बिक्री जोरों पर : पहनते हैं तभी तो बिकती है

पुरुषों की ब्रा की बिक्री जोरों पर
समाचार पढ़कर हैरत में पढ़ गए
समाचार वैसे तो पुराना है पर
आपके लिए है नया क्‍योंकि
यह दुनिया है नई वेबदुनिया।

घटता है कहीं कुछ कहीं तो
पता लगता है सब जगह ही
जापान में हो रहा है ऐसा ही
ब्रा पुरुषों की मिल नहीं रही है।

पहले सुनते थे सब कहते थे
जा पान ले आ में देश तलाशो
अब कहेंगे जापान में कुछ नया
तो सब बोलेंगे पुरुष पहनते हैं ब्रा।

बनी कम हैं मांग ज्‍यादा है
आपका एजेंसी लेने का इरादा है
इरादा बिल्‍कुल नेक है
सारा विश्‍व आज एक है।

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क्‍या कहा शर्म आ रही है
जो पहन रहे हैं तो क्‍या वे बेशर्म हैं।

शर्मदार ही पहनते हैं ब्रा
पुरुष हो या हो महिला
शर्मसारिता से बचने के लिए
अनोखा स्‍वाद चखने के लिए।

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आप कहेंगे यह हैरतअंग्रेज क्‍या होता है
वही होता है जो हैरतअंगेज नहीं होता है।

पुरुषों की ब्रा की बिक्री जोरों पर

12 टिप्‍पणियां:

  1. यह ट्रांस सेक्सुअलिस्म है यहाँ भी चोरी छिपे चल रहा .पहले तो मीन सोचा की कहीं टोपियों के रूप में तो इनका इस्तेमाल नही बढ़ रहा है पर यहाँ तो माजरा ही दूसरा है !

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  2. अभी अभी पता चला है
    पढ़ तो सब रहे हैं पर
    टिप्‍पणी देने में शर्मा रहे हैं।

    वैसे इसे नहीं पहनेंगे तो
    शर्म आनी चाहिए बंधु
    पढ़ कर टिप्‍पणी देने में
    काहे की शर्म ?

    तो लौट कर आएं जब भी
    टिप्‍पणी भी अवश्‍य कर जाएं।

    जवाब देंहटाएं
  3. अगर आप डिस्ट्रीब्यूटर बनें तो डीलर हमें बना लीजियेगा.

    जवाब देंहटाएं
  4. hum bhi besharm hote kya baat hoti

    hmare uper bhi kavita hoti

    bante mudda bahas ka hum

    nami girami logo me charcha hoti


    bahut accha laga padh k

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  5. "जो पहन रहे हैं तो क्‍या वे बेशर्म हैं।"
    ना,ना, वो तो शर्मीले हैं; पर जो लिख रहे हैं....?

    एक नया शब्द तो मिल ही गया- ’शर्मसारिता”

    जवाब देंहटाएं
  6. डिस्ट्रीब्यूटर बनने का इरादा तो नहीं है क्योंकि अपने पास नम्बर एक का पैसा तो ना के बराबर है।...हाँ ये हो सकता है आप खुद ही मैनूफ्रैक्चर कम डिस्ट्रीब्यूटर बन जाएँ और हम अपनी डिमांड के हिसाब से आप से माल मंगवाते रहें।

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  7. अरे भाई इस धंधे में आपलोग अब मुझे भी शामिल करो।धंधा कोई भी हो मंदा न हो,बस अपुन यही चाहता है।अविनाश भाई को बोल चुका हूं कि मुझे अपना शेयरदार बनायें क्योंकि अब लिखना पढना होता नहीं रोज़-रोज़। टिप्पणी देते-देते अपुन अब टिपिया गया गया है,पिचक गया है। जल्दी लगाना भाई मुझे भी ब्रा के धंधे में।

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  8. सुशील जी,
    खबर सिर्फ रोचक ही नहीं

    सोचक भी बन गई है

    आपकी नामराशि के बड़े बड़े
    साहित्‍यकार कवि समीक्षक

    लिखना पढ़ना छोड़कर अब इस

    धंधे में उतरने का मन बना चुके हैं।


    इस पर आपका क्‍या कहना है ?

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  9. वैसे ये ब्रा कहाँ मिलती है, जरूर बताइए अविनाश जी , क्योंकि ऐसे कई पुरुष हैं मेरी जानकारी में जो ये ब्रा आसानी से खरीद सकते हैं.

    नए साल की बधाई.

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  10. Avinash ji anytha kyun loonga,pad kar nayi jankari milli,hindi main tippni nahin kar pa rha hoon,kyonki woh phelye airtel ka number maang rha tha,jo mere paas nahin aur dobra downlaod hi nahi ho rha tha.

    जवाब देंहटाएं

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