नुक्कड़ पर भाई चारा

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  • Rajeevmass (राजीवमास)
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  • नुक्कड़-नुक्कड़ बात चली है पता चला है ये
    दिल्ली के हर कोने में एक गाल बजा है रे

    मुसलमान होने के नाते शक का चुभोते हैं नश्तर-भाले
    कहते फिरते गली-मोहल्‍ले आस्‍तीनों के हम हैं पाले

    नहीं हम कोई आतंकवादी नहीं हम हैं कोई दहशतगर्द
    भारत माँ ने हमको पाला नहीं किया कभी उसने फर्क

    कुछ एक तो सभी में भटके होते क्यों हम ही यहाँ अपवाद हैं
    जहाँ हमारा नाम आ जाए फिर क्यूं भरे सबके मन अवसाद हैं

    सिक्ख हूँ, जैन हूँ ,हिन्दू हूँ, फारसी हूँ या हूँ मुसलमान
    क्या ये बाट-तराजू हैं जो निकालेंगे मेरी वफादारी का मान

    दुर्योधन हो या फिर जयचन्द दहशतगर्दी धर्म नहीं है
    दाऊद हो या अफ़्ज़ल गुरू दहशतगर्दी कुकर्म रही है

    भारत भूमि मेरी माँ है और पिता मेरा संविधान है
    गाल बजा लो कितने तुम पर मुझको अभिमान है

    4 टिप्‍पणियां:

    1. बहुत सुंदर भाव
      अभिव्‍यक्ति प्रभाव
      हैं कविता की शान
      विचार हैं महान।

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    2. भारत भूमि मेरी माँ है और पिता मेरा संविधान है
      कुछ भी कह लो गाल बजा लो पर मुझको अभिमान है
      बहुत अच्छी प्रस्तुति..... सामयिक भी है।

      जवाब देंहटाएं
    3. एक अच्छी कविता पढ़वाने के लिए धन्यवाद
      गजल की क्लास चल रही है आप भी शिरकत कीजिये www.subeerin.blogspot.com


      वीनस केसरी

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    आपके आने के लिए धन्यवाद
    लिखें सदा बेबाकी से है फरियाद

     
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