ब्लॉग पर हो रहे हैं झगड़े
और मैं झगड़ों से रहता हूं दूर
मुझे नहीं पसन्द हज़ूर .
जब हो जायें दूर
गिले शिकवे
और लड़ लें
सब भरपूर
तब मुझे
बतलाना ज़रूर
मैं आ जाऊंगा हज़ूर.
पर गाली गलौच
को नाम देना
भड़ास
मुझे नहीं
मंज़ूर.
इसलिये होता हूं
दूर
इसे बुरा मत मानें
जाने और अनजाने
सभी मित्र मेरे.
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ठीक निर्णय.
जवाब देंहटाएंअपनॆ विचारो को कविता के माध्यम से बखूबी व्यक्त किया है।अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंघुघूती बासूती
bahut sahi,
जवाब देंहटाएंaate rahunga aur padataa rahunga aapake blogs
kavita ka bhavarth,kalevar,sab behad achchha hai
जवाब देंहटाएंachchhee kavita ke lie shubhakaamanaaen