दिल्ली ब्लॉ्गर मीट, कड़ाके की ठंड और कोरा कागज
मीट में मिले मीत
पर बाद में
पहले मिली अंग्रेजी
जो पल्ले नहीं पड़ी
बाद में चली हिंदी
खूब जमी हिंदी
कड़ाके की ठंड में
जो मिली गर्मी
वो हिंदी से मिली
जो बात बनी
वो हिंदी से बनी
जिसने चकराया
पहिया घुमाया
वो चक्रधर आया
हिंदी की माया का
रूतबा खूब जमाया
यशवंत ने गर्मी
दहकाई वो हिंदी
अंग्रेजी को बिठाया
हिंदी ने, रंग जमाया
समां खूब महाकाया
हिंदी ने, सबके मन
आनंद आया
सब हंसे हंसाये
सिर्फ हिंदी में।
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खूब जमी है आपकी कविता
जवाब देंहटाएंब्लागर-मीट के बारे में आपका नजरिया जबर्दस्त लगा. मुझे लगता है कि हिन्दी ब्लागर अपनी बात बहुत शक्तिशाली ढंग से कहते हैं.
और, जरा ज्यादा वर्णन होता तो, मजा आता।
जवाब देंहटाएंचक्र धर जी का पुरा चक्कर उस ब्लाग मीट का यहाँ है देखे या सुनी जो आप की मर्जी हर्ष वर्धन जी
जवाब देंहटाएंhttp://lage-raho-india.blogspot.com/2008/01/blog-post.html