पारा रह गया है तीन

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  • अविनाश वाचस्पति
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    दिल्ली का पारा
    रह गया है तीन
    बज रही है बीन
    लेकिन किस किसकी
    सुबह के अखबार
    इसी से जमे होंगे
    दफ्तरों में होंगे
    इसी के चरचे
    मूंगफली पर खरचे
    काम न होगा
    धूप निकली तो
    वहीं पर धाम होगा

    2 टिप्‍पणियां:

    1. तीन पर इतनी हाय तौबा
      एक पर क्या करेंगे बाबा

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    2. पारा तो पारा है
      करता पौ बारा है
      जिनके बिक रहे स्वेटर
      जिनकी बिक रही मूंगफली
      जो सर्दी में डोल रहे हर गली
      हार गया खली तो मच गई खलबली
      डालो जीतने वाले के मुंह में बर्फडली

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    आपके आने के लिए धन्यवाद
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