पहला भाग पढें (रिश्तों की बरसी - 1) दोस्तों ये भी अजीब बात हैं ना, कि आप इस लेख को/ कहानी को पढकर जो सोच रहे हैं जिसके बारे मंे सोच रहा है वो अगर इस कहानी को पढ रहा होगा तो वो या तो किसी और के बारे मंे सोच रहा होगा और अगर वो आपके बारे मंे भी सोच रहा होगा तो उसके जज्बात आपकी बातोें से बिल्कुल इतर होंगे।दोस्तों इसको आप पढ लीजिए, कहानी समझकर, लेख समझकर, जज्बात समझकर। इसके बाद आप थोडा उल्टी प्रक्रिया में सोचना, ये नही कि आप किसके बारे में ऐसा सोच रहे हैं। आप उसके बारे मंे ख्याल करने की कोशिश कीजिए जो ये कहानी पढकर आपके बारे मंे ऐसे ख्याल रखे। उस इंसान की जिंदगी मंे अपने द्वारा किये गये कामों के लिए दिल से मन ही मन मंे माफी मांगने का मौका मत चूकना। लेकिन इसमें भी एक बात का ध्यान रखना जरूरी है कि जो भी आप सोचो वो तार्किक हों सामान्यतः तो आप जिसके बारे मंे ऐसा सोचते हो कि उसने कुछ गलत किया...
रिश्तों की बरसी - 1
by तरूण जोशी " नारद"
बरसीबरसी- इस नाम से क्या ख्याल जेहन में उपजता है, हां मैं भी उसी की बात कर रहा हूं, हां वही बरसी जो किसी अपने के हमेशा हमेशा के लिए रूखसत हो जाने, दूर हो जाने या मर जाने की सालगिरह के तौर पर मनाया जाता है। वैसे तो बरसी अपनों की मनाई जाती हैं, रिश्तेदारों की मनाई जाती है। उनके साथ के लम्हों को याद किया जाता है, उनकी शांति की प्रार्थना की जाती है, उनकी मुक्ति की दुआ की जाती है।लेकिन हर बार बरसी अपनों की नही कई बार अपनेपन की भी मनाई जाती है, रिश्तेदारों की ही नहीं रिश्तों की भी मनाई जाती है।तो आज हम भी ऐसे ही एक बरसी मनाने जा रहे हैं. रिश्तों की बरसी।सुनने मंे भले ही अजीब सा लगे, लेकिन हां ये सच है, आप भी याद करिये, जीवन की किताब के किसी एक कोने मंे आपने भी दफन किये होंगे कुछ पन्ने कहीं किसी छोर पर।अरे वैसे ही जैसे बचपन में किसी विषय की कॉपी मंे कुछ गलतियां हो जाने पर उन्हें छिपाने,...
प्रेमचंद की 145 वीं जयंती पर आयोजित विचार गोष्ठी
by रवीन्द्र प्रभात

बाराबंकी। गरीब, निर्धन एवं महिलाएं ही देश की संस्कृति के संवाहक रहे हैं। प्रेमचंद के साहित्य में ऐसे ही पात्रों के माध्यम से संस्कृति को जीवित और संवर्धित करने का प्रयास है। उक्त उद्गार राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित डा. रामबहादुर मिश्र अध्यक्ष अवध भारती संस्थान ने वीणा सुधाकर ओझा महाविद्यालय में प्रेमचंद की 145 वीं जयंती पर आयोजित विचार गोष्ठी में अध्यक्षता करते हुए व्यक्त किए।मुख्य वक्ता साहित्य समीक्षक डॉ. विनयदास अध्यक्ष साहित्यकार समिति ने कहा साहित्य व्यापार का नहीं बल्कि समाज शोधन का माध्यम है। साहित्य मशाल की तरह उजाला देते हुए मार्गदर्शन करने वाला होना चाहिए। विचार गोष्ठी में विषय प्रवर्तन करते हुए डा.कुमार पुष्पेंद्र ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद के पात्र यथार्थ जीवन जीते नजर...
जिंदगी एक धागे का बंडल है।
by तरूण जोशी " नारद"
Started Writing after years जिंदगी एक धागे का बंडल है।इस बंडल मंे लिपटे हैं लम्हें कई।परत दर परत खुलते जाते हैं। इक छोर से दूजे छोर तक फिसलते हुए। फिर एक चक्क्र पूरा होता है, जैसे हुआ एक अध्याय पूरा। अगले ही लम्हें मंे परत बदल जाती हैं, जैसे कलेंडर में हो साल नया।बस अनवरत चलता रहता है,डोर की माला बढती जाती है।और इक पल में जिंदगी की राहये गुजर जाती है। मैं सोच रहा हुं कि ये क्या हुआ, समझ ना सका ये तू था मेरे खुदा। हर पल तुने ये क्या करिश्मा दिखाया इस अदने पुतले का भी इक हस्ती बनाया ।।सोच में में अपनी मगरूर था,ना जाने किस बात का गुरूर था ।मगर तू तो मुझमें बसा रहा,पर मुझे ना कोई इल्म ना सुबुर रहा।। रब मेरे, मेरे जीवन के खेवन तेरा बचपन, तेरा यौवन तेरा हर पल, तेरी खुशियां हंसते हंसते लेंगे ये गम।तुमने जो कुछ दिया स्वीकारादेखो चरखी अब भी...
बाकू (अजरबैजान) में परिकल्पना की रजत जयंती यात्रा के सम्मान में विशेष आयोजन
by parikalpnaa

बाकू (अजरबैजान) में परिकल्पना की रजत जयंती यात्रा के सम्मान में एक विशेष आयोजन किया गया, जिसमें परिकल्पना से जुड़े सम्मानित सदस्यों को विशेष सम्मान प्रदान किए गए। इस अवसर पर परिकल्पना परिवार के 17 सदस्यों को रजत पदक प्रदान किया गया। परिवार के आठ सदस्यों क्रमश: श्री निर्भय नारायण गुप्ता, डॉ सत्या सिंह, श्री मती निशा मिश्रा, डॉ प्रतिमा वर्मा, डॉ बालकृष्ण पांडेय, श्री मती नम्रता मिश्रा, डॉ प्रमिला उपाध्याय और श्री मती सरोज सिंह को अंगवस्त्र, रजत पदक, मोमेंटो एवं मानपत्र के साथ परिकल्पना रजत जयंती सम्मान प्रदान किया गया। इस अवसर पर पत्रकारिता के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए पच्चीस हजार नकद सम्मान राशि एवं अंगवस्त्र, रजत पदक, मोमेंटो एवं मानपत्र के साथ परिकल्पना सम्मान प्रदान किया गया। साथ...
ब्रसेल्स में 13 वां अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी उत्सव संपन्न
by parikalpnaa

दिनांक 20.05.2023 को बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स के गोस्सित सभागार में 13 वां अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी उत्सव संपन्न हुआ। मुख्य अतिथि रहे बेल्जियम में हिन्दी के चर्चित ग़ज़लकार श्री कपिल कुमार। इस अवसर पर प्रमुख साहित्यकार डॉ मिथिलेश दीक्षित, डॉ क्षमा सिसोदिया, डॉ सुभासिनी शर्मा, सचिंद्र नाथ मिश्र, डॉ. रवींद्र प्रभात आदि की एक दर्जन से ज्यादा पुस्तकें लोकार्पित हुई। इस अवसर पर अवधी की लोक गायिका श्रीमती कुसुम वर्मा और प्रसिद्ध पत्रकार डॉ आर बी श्रीवास्तव विशेष अतिथि थे। साथ ही विशिष्ट अतिथि के तौर पर उपस्थित रहे ब्रसेल्स के श्री संजय बाली और रेणु बाली। इस अवसर पर हिन्दी की चर्चित कवियित्री डॉ चम्पा श्रीवास्तव को 25 हजार रुपए नकद,शॉल,स्मृति चिन्ह के साथ परिकल्पना शिखर सम्मान से नवाजा गया। साथ ही...
Corona काल में Rahul Gandhi ने जारी किया Modi सरकार का कैलेंडर |
by http://sanadpatrika.blogspot.com/
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मजदूरों के घर पहुंचने के बाद आया सुप्रीम कोर्ट का फैसला|सालिस्टर जनरल ने...
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बिहार में स्वास्थ्य विभाग में रस्साकशी। मंत्री कुछ आंकड़े देते हैं, सचिव ...
by http://sanadpatrika.blogspot.com/
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प्रकृति के अनुपम सौंदर्य की ऑन लाइन कव्यमय प्रस्तुति
by रवीन्द्र प्रभात

भारत ऋतुओं का देश है, जहां प्रकृति का वैविध्यपूर्ण सौंदर्य बिखरा पड़ा है। यही कारण है, कि फूलों का देश जापान को छोड़कर आने की दु: खद स्मृति हाइकु काव्य को कभी अक्रांत नहीं कर पाई। वह इस देश को भी अपने घर की मानिंद महसूस करती रही। यही कारण है कि हिन्दी साहित्य जगत के समस्त हाइकु प्रेमी और हाइकु सेवी यही शुभेच्छा करते हैं कि हाइकु काव्य को प्रकृति के क्रीड़ांगन में खेलने - फलने - फूलने का पूरा पूरा अवसर मिलता रहे। डॉ. मिथिलेश दीक्षित जी ने भारत में इस हाइकु काव्य को एक क्रांति की प्रस्तावना के रूप में देखा है और इस काव्य को एक अभियान के माध्यम से गति प्रदान की है। डॉ. मिथिलेश जी ने हाइकु गंगा पटल के माध्यम से नए व पुराने सृजन धर्मियों का एक ऐसा मंच तैयार किया है जो हिन्दी पट्टी...
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