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अविनाश वाचस्पति को विनम्र श्रद्धांजलि।

कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनके विचार तो महान होते हैं, पर जीवन महान नहीं होता। कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनका जीवन तो महान होता है, पर विचार महान नहीं होते। लेकिन विरले ही सही एक व्यक्ति ऐसा मिल ही जाता है, जिसके जीवन और विचार दोनों महान होते हैं। ऐसा ही थे अविनाश वाचस्पति। अविनाश का एक व्यंग्य है "रावण का होना खलता नहीं है", मगर हमारे बीच अविनाश का न होना "पूरे ब्लॉग जगत" को खलेगा इसमें कोई संदेह नहीं है। कुछ दिन पूर्व यानि 11 जनवरी को मैंने अविनाश जी को फोन करके कहा कि अब आपकी तबीयत कैसी है ? उन्होने ठहाका और कहा कि "प्रभात भाई हेपिटाइटिस सी नामक जानलेवा बीमारी से तो मुझे इश्‍क हो गया है। अब इससे क्या डरना, जिस दिन जाएगी मुझे भी साथ लेकर जाएगी। मैंने कहा ऐसा नहीं कहते, समय के साथ सब ठीक हो जाएगा। 22 जनवरी को जब मैं थाईलैंड से लौटा तो उन्होने मुझे फोन किया कि कैसी रही यात्रा। मैंने कहा कि आपकी कमी खाली। इस बार फिर उन्होने ठहाका लगाया और कहा कि कमी तो मेरी बीमारी को भी मुझसे अलग होकर होती है। खैर एक खुशखबरी है कि मैं अब ठीक हो गया हूँ, आपसे जल्दी ही मिलता हूं। एक दो दिन में मैं मिलने की योजना बना ही रहा था, कि यह दुखद समाचार मिला कि वे अब इस दुनिया में नहीं रहे। यह सुनकर मैं कुछ देर समझ ही नहीं पाया कि यह कैसे हो गया? मेरा एक प्यारा और आत्मीय मित्र मुझे छोडकर चला गया और इसी के साथ आज ब्लाॅग जगत का एक स्तंभ ढह गया। मैंने साथ-साथ मिलकर हिन्दी ब्लॉग जगत मे कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं, हिन्दी ब्लॉगिंग: अभिव्यक्ति की नई क्रांति पुस्तक और परिकल्पना ब्लॉगोत्सव उनमें से एक है। उन्हीं के शब्दों में- परिकल्पना परिवार की ओर से उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि।
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डॉ. हरीश अरोड़ा जी को मातृ शोक

दांयी ओर पहले डॉ. हरीश अरोड़ा
हमारे आपके सबके प्रिय
मनमोहक व्‍यक्तित्‍व के धनी
की माताजी का देहान्‍त
हो गया है।

नुक्‍कड़ परिवार की विनम्र श्रद्धांजलि।
दोपहर बाद 3 बजे नेहरू प्‍लेस टर्मिनल के पास स्थित शमशान घाट में दाह संस्‍कार किया जायेगा।
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माइकल जैक्‍सन चले गए


माइकल जैक्‍सन को
हार्ट अटैक ले गया
किसी को नहीं है
छोड़ता ये गया
वो गया सो गया।

नुक्‍कड़ की विनम्र श्रद्धांजलि।
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विष्‍णु प्रभाकर को श्रद्धांजलि : देह का सफर पूरा विचारों का जारी (अविनाश वाचस्‍पति)

देह का सफर पूरा
विचारों का जारी।

आवारा मसीहा के मसीहा
विष्‍णु प्रभाकर

की सिर्फ देह का
अंत हुआ है
विचार उनके
जीवित रहेंगे सदा सर्वदा।

आज से हम सब उन्‍हें
मन में महसूस पाएंगे
मानस में उनके विचारों की
ज्‍वाला धधकती पाएंगे
इसी तरह उन्‍हें याद
सदा करते नजर जाएंगे।

बी 151, महाराणा प्रताप एनक्‍लेव, रानी बाग,
दिल्‍ली से दोपहर 2 बजे उनकी देह,
जो उनकी नहीं थी,
(पर सभी समझते हैं कि देह अपनी होती है
इन नामसमझों में मैं भी शामिल हूं)
का अंतिम सफर शुरू होगा।

नुक्‍कड़ समूह (पाठक एवं लेखक)
अपने श्रद्धासुमन आदरणीय प्रभाकर जी को
समर्पित करता है इस भावना के साथ
कि परमपिता परमात्‍मा उनके विचारों को
मंथन के नित नए सोपान दे।

यह सूचना आशीष कुमार 'अंशु' (बतकही) के एस एम एस यानी संदू से मिली। कुछ माह पहले जब मित्र पवन चंदन (चौखट) के साथ श्री श्‍याम विमल (नोएडा) जी से उनके आवास पर मिलना हुआ था तब माननीय विमल जी ने उनसे हुई मुलाकात का जिक्र किया था।
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