गधा बनकर घोड़े की सवारी कराती कविताएं
- अविनाश वाचस्पति
‘हँसो भी ... हँसाओ भी’ हलीम ‘आईना’ के काव्य विधागत विचारों का दर्पण है, एकबारगी तो लगता है कि चुटकुलों अथवा कार्टूनों की गागर है, पर यह हास्य-व्यंग्य के ओजपूर्ण विचारों का सागर है। दरअसल हलीम सिर्फ एक विधा में लेखन नहीं करते हैं पर जब एक विधा में लिख रहे होते हैं तब उस पर अनेक विचारों की बरसात हो रही होती है। यह उनकी रचनाओं पर दिखाई दे रहे छींटे हैं जो उनके निरालेपन का अहसास कराते हैं। यह निरालापन स्वभाव कवि निराला न होते हुए भी फक्कड़ीपन का सुखद अहसास देता है।
आप कॉलेज में या व्यावसायिक शिक्षा की कितनी भी तालीम हासिल कर लें पर जीवन के साथ समन्वयात्मक और सकारात्मक शिक्षा का कोई सानी नहीं है। पुस्तक की खास बात इसके कवर पेज को बैंक का चैक रूप छद्म छवि निरुपण है। इसके बांए कोने पर ‘कविताएं’ लिखा जाना कविताई स्वरूप को उजागर करता है।
प्रत्येक कविता में छोटी-छोटी सामान्य सी घटनाओं पर तीखी नजर हास्य के बहाने पाठक की बत्तीसी को झिंझोड़ देती है जो भीतर व्यंग्य को समेटे हुए है और जिस पर व्यंग्य किया गया है,वह तिलमिलाकर मुस्कराता है। पुस्तक का पेपरबैक मुद्रण इसे अधिक लोगों तक पहंचा सकता था परंतु इसका मूल्य इसमें बाधक है। मेरा मानना है कि पुस्तक का मूल्य 50/- रुपये से अधिक नहीं होना चाहिए, तभी वह पाठक तक पहुंचने का साधन बन सकता है। कविताओं के पात्र नेता, काजी, कवि, कुत्ते,आदमी, चक्रव्यूह और हिंदुस्तान जैसी संज्ञाओं और सर्वनामों को किरदार में ढाला गया है। फिर इनका आपसी वार्तालाप विसंगतियों की कलई खोलता है। होली, दिवाली, ईद जैसे उत्सवीय मौके इसके सौंदर्य में चवालीस चांद चस्पां करते हैं।
हलीम कहते हैं कि ‘हास्य केला है और व्यंग्य करेला’ इसमें मैं आगे जोड़ता हूं कि ‘जो इसको ठेलता है, वह गधेला है’। गधा बनना आसान हो सकता है पर स्वीकारना नहीं और आसानियों का नाम घोड़ा नहीं है । इसलिए गधा बनकर घोड़े की सवारी करती हलीम की कविताएं अपने वैचारिक अनुभवों के जरिए शब्दों की कारीगरी से पाठकों को चमत्कृत करती चलती हैं जिनके पीछे लगातार खामियों के कुत्ते दौड़ रहे हैं।
पुस्तक का नाम : हँसो भी ... हँसाओ भी
कवि : हलीम ‘आईना’
प्रकाशक : सुबोध पब्लिशिंग हाउस, सकतपुरा, कोटा 324008
पृष्ठ संख्या : 92
कीमत : 150/- रुपये केवल
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें
आपके आने के लिए धन्यवाद
लिखें सदा बेबाकी से है फरियाद